बिहार में भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया में बड़ा सुधार
(Land Survey Process Simplified in Bihar)
नए बदलाव के लाभ
(Benefits of the New Changes)
म्यूटेशन की प्रक्रिया का इंतजार किए बिना नापी की सुविधा।
ऑनलाइन आवेदन और स्थिति की जानकारी से समय की बचत।
प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता (transparency and reliability) में वृद्धि।
रैयतों को भ्रष्टाचार से मुक्ति।
जमीन मापी कराने में आने वाली बाधाओं का समाधान।
यह कदम भूमि सुधार (land reform) के क्षेत्र में एक बड़ी पहल है, जो रैयतों के लिए बेहद लाभकारी साबित होगी।
बिना म्यूटेशन के भी करवा सकेंगे जमीन की नापी
(Measurement Without Mutation Now Possible)
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने बिहार में भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया को सरल (simplified) और पारदर्शी (transparent) बनाने के लिए नया आदेश जारी किया है। अब बिना म्यूटेशन (mutation) कराए भी जमीन की नापी (land measurement) करवाई जा सकेगी। इस बदलाव के तहत ई-मापी पोर्टल (e-mapping portal) को भी अपडेट किया गया है, जिससे रैयतों को आसान और पारदर्शी प्रक्रिया (easy and transparent process) का लाभ मिलेगा।
ई-मापी पोर्टल में नई व्यवस्था लागू
(New System Implemented on E-Mapping Portal)
पहले, सरकारी जमीन, कोर्ट के आदेश, विधि-व्यवस्था (law and order) से जुड़े मामलों और लोक शिकायत निवारण (public grievances) में मापी को लेकर कोई स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं थे। अब इन सभी मामलों को ड्रॉप-डाउन मेन्यू (drop-down menu) में जोड़ा गया है। इससे रैयतों को प्रामाणिक मापी कॉपी (authentic measurement copy) प्राप्त करना आसान होगा।
रैयतों को राहत: पारदर्शिता में सुधार
(Relief for Farmers: Enhanced Transparency)
नई व्यवस्था से रैयतों को अपनी जमीन मापी कराने में आने वाली समस्याओं का समाधान मिलेगा। अब वे म्यूटेशन की प्रक्रिया (mutation process) का इंतजार किए बिना ऑनलाइन आवेदन (online application) कर सकते हैं। इसके अलावा:
ऑनलाइन स्थिति की जानकारी (online status updates) उपलब्ध होगी।
भ्रष्टाचार की संभावनाएं (corruption risks) कम होंगी।
आवेदकों को मापी के लिए फीस जमा (fee payment) करना अनिवार्य होगा।
रेवेन्यू कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम से आवेदन करें
(Apply via Revenue Court Management System)
राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह (Additional Chief Secretary Deepak Kumar Singh) ने अधिकारियों के साथ बैठक कर इस नई व्यवस्था के दिशा-निर्देश जारी किए। रैयत अपनी जमीन की नापी के लिए रेवेन्यू कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम (Revenue Court Management System) का उपयोग कर सकते हैं।
मापी फीस और जागरूकता अभियान
(Fee Payment and Awareness Campaign)
नए आदेश के तहत मापी फीस जमा करना अनिवार्य किया गया है। यदि कोई आवेदक फीस जमा नहीं करता है, तो उसका आवेदन स्वतः रद्द (automatically canceled) हो जाएगा। साथ ही, मापी फीस को लेकर जागरूकता अभियान (awareness campaign) चलाए जाएंगे ताकि अधिक से अधिक लोग इस प्रक्रिया का लाभ उठा सकें।
मापी फीस और जागरूकता अभियान
पहले, सरकारी जमीन, कोर्ट के आदेश, विधि-व्यवस्था से जुड़े मामलों और लोक शिकायत निवारण में मापी को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं थे। लेकिन अब, इन सभी मामलों को पोर्टल के ड्रॉप-डाउन मेन्यू में शामिल किया गया है। इससे रैयतों को अपनी जमीन मापी की प्रामाणिक कॉपी आसानी से प्राप्त होगी। यह फैसला रैयतों के लिए राहतकारी साबित होगा, जो अपनी जमीन का माप कराने में कठिनाइयों का सामना कर रहे थे। नई व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि रैयतों को अपनी जमीन मापी कराने में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलेगी।
म्यूटेशन का लंबा इंतजार किए बिना अब वे सीधे नापी के लिए आवेदन
म्यूटेशन का लंबा इंतजार किए बिना अब वे सीधे नापी के लिए आवेदन कर सकेंगे। इसके अलावा, ई-मापी पोर्टल और ऑनलाइन प्रक्रिया से पारदर्शिता बढ़ेगी। आवेदकों को मापी की स्थिति की जानकारी भी ऑनलाइन मिलेगी, जिससे भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम होंगी। राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने अधिकारियों के साथ बैठक कर इस नई व्यवस्था के तहत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
अब रैयत अपनी जमीन की नापी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं
अब रैयत अपनी जमीन की नापी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें राजस्व विभाग के रेवेन्यू कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग करना होगा। नए आदेश के मुताबिक, मापी फीस जमा करना अनिवार्य होगा। यदि कोई आवेदक मापी फीस जमा नहीं करता है, तो उसका आवेदन स्वतः रद्द हो जाएगा। इसके साथ ही, मापी फीस को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।
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