पटना | केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर पर दिए गए एक बयान को लेकर बिहार समेत देशभर की राजनीति गरमा गई है। इस बयान को लेकर विपक्ष ने अमित शाह पर जोरदार हमला बोला है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इसे लेकर गृहमंत्री पर तीखा प्रहार करते हुए उन्हें इस्तीफा देने की मांग की है।
क्या था अमित शाह का बयान?
गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संसद में आयोजित विशेष सत्र में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि:
“बीआर अंबेडकर का नाम लेना अब एक ‘फैशन’ बन गया है। अब तो अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर… इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।”
अमित शाह के इस बयान पर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे अंबेडकर का अपमान करार दिया है।
लालू यादव का तीखा हमला
इस बयान के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने अमित शाह पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा:
“अमित शाह पागल हो गए हैं। उन्हें बाबा साहेब अंबेडकर के बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। उनके पास ज्ञान की कमी है और वे अंबेडकर जैसे महान नेता का अपमान कर रहे हैं। अमित शाह को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।”
लालू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर भी अमित शाह और आरएसएस पर निशाना साधते हुए लिखा:
“गोलवलकर की आनुवंशिक औलादें हमेशा से ही बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों के खिलाफ रही हैं। ये लोग ‘बंच ऑफ थॉट्स’ के अनुयायी हैं और संविधान निर्माता के प्रति इनकी घृणा हर रूप में झलकती है।”
विपक्ष के अन्य नेताओं का रुख
अमित शाह के बयान पर कांग्रेस, राजद, और अन्य विपक्षी दलों ने इसे “असंवैधानिक” और “दलित विरोधी मानसिकता” का प्रतीक बताया।
- कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा:
“यह बयान भाजपा की असली विचारधारा को दर्शाता है, जो डॉ. अंबेडकर के विचारों के खिलाफ है।”
- जदयू नेता संजय कुमार झा ने इसे दलितों और वंचितों का अपमान बताया।
भाजपा की सफाई
इस विवाद पर भाजपा ने अपनी सफाई देते हुए कहा है कि अमित शाह का बयान गलत संदर्भ में पेश किया जा रहा है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा:
“अमित शाह ने केवल यह बताया कि विपक्ष डॉ. अंबेडकर के नाम का इस्तेमाल कर राजनीति कर रहा है। इससे उनके प्रति हमारे सम्मान में कोई कमी नहीं आती।”
निष्कर्ष
यह विवाद बिहार की राजनीति में चुनावी माहौल को और गर्माने वाला है। लालू यादव और विपक्ष ने इस बयान को लेकर भाजपा और आरएसएस पर तीखे आरोप लगाए हैं, जबकि भाजपा इसे विपक्ष की गलत व्याख्या करार दे रही है।
क्या यह बयान भाजपा के लिए नुकसानदेह साबित होगा? या विपक्ष इसे एक बड़ा मुद्दा बनाकर दलित वोटबैंक को मजबूत करेगा? इसका जवाब आने वाले समय में ही मिलेगा।