दरभंगा। बिरौल थाना परिसर में निर्माण सामग्री रखने को लेकर थानाध्यक्ष और निर्माण कार्य में लगे मुंशी के बीच विवाद ने गंभीर मोड़ ले लिया है। घटना 24 दिसंबर की बताई जा रही है, जब मुंशी फूलबाबू राय ने थानाध्यक्ष वीरेंद्र चौधरी पर लाठी-डंडों से पिटाई और गाली-गलौज का आरोप लगाया। मामले की शिकायत एसडीपीओ मनीष चंद्र चौधरी को दी गई है, जो जांच का आश्वासन दे रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
- मॉडल थाना निर्माण कार्य के दौरान विवाद
बिरौल थाना इन दिनों मॉडल थाने में तब्दील हो रहा है। निर्माण कार्य में लगे मुंशी फूलबाबू राय, जो समस्तीपुर जिले के वारिशनगर के निवासी हैं, ने आरोप लगाया है कि थानाध्यक्ष ने 24 दिसंबर सुबह 8:45 बजे उन्हें बेवजह गाली-गलौज की और मारपीट की। - थानाध्यक्ष का व्यवहार
मुंशी का कहना है कि जब वह निर्माण सामग्री (प्लाई) रख रहे थे, तभी थानाध्यक्ष ने आपत्ति जताते हुए थप्पड़ और लाठी से पिटाई शुरू कर दी।
मुंशी के आरोप
- पिटाई से चोटें और घड़ी टूटी
मुंशी ने दावा किया कि मारपीट के कारण उनकी आंख में चोट आई और उनकी घड़ी टूटकर गिर गई। - हाजत में बंद और फर्जी मुकदमे की धमकी
पीड़ित का कहना है कि थानाध्यक्ष ने उन्हें घंटों हाजत में बंद रखा और फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी।
थानाध्यक्ष का पक्ष
- आरोपों को बताया झूठा
थानाध्यक्ष वीरेंद्र चौधरी ने सभी आरोपों को निराधार और झूठा बताया है।
एसडीपीओ की प्रतिक्रिया
- जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा
एसडीपीओ मनीष चंद्र चौधरी ने बताया कि उन्हें मुंशी की लिखित शिकायत मिली है।- मामले की जांच जारी है।
- जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
प्रभाव और अगले कदम
- घटना के बाद निर्माण कार्य में लगे मजदूर और मिस्त्री मौके से भाग गए हैं।
- मामले ने पुलिस प्रशासन की छवि को प्रभावित किया है।
- न्याय और निष्पक्ष जांच की मांग जोर पकड़ रही है।
निष्कर्ष
यह मामला पुलिस प्रशासन के व्यवहार और पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह पुलिस सुधार और जवाबदेही की आवश्यकता को रेखांकित करता है। वहीं, जांच की निष्पक्षता से ही दोनों पक्षों के दावों की सच्चाई सामने आ सकेगी।