समस्तीपुर सदर अस्पताल में इन दिनों एक नया खेल चल रहा है। मरीजों को यहां निजी क्लीनिकों में रेफर करने का खेल, जिसमें कुछ दलाल सक्रिय हैं। प्रसव कराने के नाम पर यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है, जिससे गरीबों का शोषण हो रहा है।
दलालों का मकड़जाल
सदर अस्पताल, जो कि आम लोगों के इलाज का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, आजकल दलालों के प्रभाव में आ गया है। सूत्रों के अनुसार, ये दलाल अस्पताल परिसर में सक्रिय रहकर मरीजों को निशाना बनाते हैं। खासकर उन महिलाओं को, जो प्रसव पीड़ा के दौरान अस्पताल पहुंचती हैं। उन्हें बहला-फुसलाकर या डरा-धमकाकर निजी नर्सिंग होम में भेजा जाता है, जहाँ उनसे मोटी रकम वसूली जाती है।
मोटी रकम की उगाही का खेल
इन दलालों का नेटवर्क काफी मजबूत है और वे अस्पताल के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से काम करते हैं। जब कोई गर्भवती महिला सदर अस्पताल पहुंचती है, तो ये दलाल तुरंत सक्रिय हो जाते हैं। वे डॉक्टर के आने से पहले ही महिला के परिजनों से संपर्क साध लेते हैं और उन्हें निजी क्लीनिकों के फायदे गिनाते हैं। अक्सर, वे यह कहकर डराते हैं कि सदर अस्पताल में सुविधाएं ठीक नहीं हैं या डॉक्टर उपलब्ध नहीं होंगे।
सरकारी सुविधाओं का अभाव और निजी का लालच
यह पूरा गोरखधंधा सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है। जहाँ एक ओर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। मरीजों को सही इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ता है और दलालों के हाथों ठगा जाता है।
जांच की मांग
इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस दलाली रैकेट का पर्दाफाश करे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। मरीजों को सरकारी अस्पतालों में बेहतर और निशुल्क इलाज मिले, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
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