बिहार में इन दिनों अपराधियों का तांडव अपने चरम पर है। दिन दहाड़े वारदातों को अंजाम देकर बदमाश कानून व्यवस्था को खुली चुनौती दे रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक यूं ही आम जनता खौफ के साये में जीने को मजबूर रहेगी?
बिहार में अपराधियों का दुस्साहस लगातार बढ़ता जा रहा है। वे बिना किसी खौफ के एक के बाद एक आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, जिससे प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
आम जनजीवन पर असर
अपराधियों का यह तांडव केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने आम जनजीवन को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। लोगों में अपने घर से निकलने या रात में सुरक्षित महसूस करने को लेकर भय व्याप्त है।
शासन-प्रशासन पर चुनौती
अपराधियों का यह बेलगाम रुख सीधे तौर पर प्रशासन और पुलिस व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर रहा है। कानून प्रवर्तन एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इन वारदातों पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही है।
हालात ऐसे बन गए हैं कि प्रदेश में शांति और सुरक्षा का माहौल बनाए रखना एक बड़ी प्राथमिकता बन गया है। सरकार और पुलिस प्रशासन को इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने होंगे ताकि आम नागरिक भयमुक्त होकर अपना जीवन जी सकें।








