
दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। कांग्रेस के विधान परिषद् सदस्य प्रेमचंद मिश्रा ने सरकारी स्कूलों में मैथिली पढ़ाई की मांग को लेकर बिहार विधान परिषद् में कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया है। इसी को ध्यान में रखते हुए मिथिला विकास संगठन के संस्थापक अध्यक्ष विकाश फूल व सचिव त्रिपुरारी मैथिल उनके एमएलसी आवास पटना जाकर उनको धन्यवाद ज्ञापन दिया।
विकास फूल ने कहा, मैथिली भाषा संविधान के आठवें अनुसूची में शामिल है। इसके बावजूद बिहार के स्कूली पाठयक्रम में इसे अनिवार्य सूची में शामिल नहीं किया है। उन्होंने कहा, मैथिली की उत्पीड़न आजादी के बाद से लगातार होती रही है। मैथिली भाषा बोलेने वालों की तादाद करोड़ो में है। इसके बावजूद इसे बिहार के स्कूली पाठयक्रम से हटा दिया गया है।
विकास ने कहा है, इससे बड़ा दुभाग्य की बात क्या हो सकता है, पड़ोसी राज्य झारखंड व देश की राजधानी दिल्ली में इसे उचित स्थान मिला हुआ है, लेकिन इस भाषा की जननी बिहार में यह उपेक्षा की शिकार बनी हुई है। इस विषय की गंभीरता व करोड़ों लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इसपर बिहार सरकार को आगे आके मैथिली शिक्षक की बहाली करे, फिर से प्रेमचंद्र मिश्रा जी को धन्यवाद देते कहा, आप सच्चे मैथिल पुत कहलाने के काबिल हैं।
वहीं, त्रिपुरारी मैथिल ने कहा, सभी मिथिला वासी को एक साथ मिलकर मिथिला विकास संगठन के माध्यम से चलाया जा रहा हस्ताक्षर अभियान में जोर शोर से भाग लेना चाहिए। वर्तमान में मातृभाषा मैथिली अस्पृश्य जैसी हो गई है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था, विदेशी भाषा की ओर से शिक्षा प्राप्त करने में मस्तिष्क पर जो बोझ पड़ता है वह असहाय है यह बोझ हमारे बच्चे उठा तो लेते हैं किंतु उसका मूल्य उन्हें देना पड़ता है यह दूसरे बोझ उठाने योग्य नहीं रह जाते हैं इसी का परिणाम है जो हमारे विद्यार्थियों में शक्ति साहस धैर्य निर्भयता व अन्य सारे गुण बहुत ही छीन होते जा रहे हैं और वह आक्रमक कमजोर हतोत्साहित नकलची बनते जा रहे हैं और यही कारण है कि वह नई योजना नहीं बना सकते और यदि वे बनाते भी हैं तो उसे पूर्ण नहीं कर पाते हैं।कांग्रेस विधान परिषद् सदस्य प्रेमचंद मिश्रा ने कहा, स्कूलों में मैथिली की पढ़ाई शुरू करे सरकार
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