दरभंगा। मिथिला के गौरव पुरुष डॉ. अमर नाथ झा की जयंती पर वुद्धिजीवियों ने नमन किया। वकालत खाना भवन में गुरुवार को अधिवक्ता राजीव रंजन ठाकुर उर्फ बालाजी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में वकीलों ने मिथिला विभूति डॉ. झा के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित किया। जयंती कार्यक्रम का संचालन करते हुए अधिवक्ता रमन जी चौधरी ने कहा कि पूर्व के मिथिला विभूति और वर्तमान काल के सबंध में कहा कि वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। उसके पिता महा महोपाध्याय पंडित गंगानाथ झा 1923 से 1932 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रहे।
जानकारी के अनुसार, डॉ. झा जन्म का वर्तमान मधुबनी जिला के सरिसबपाही गांव में हुआ था। उनकी शिक्षा इलाहाबाद में हुई। 20 वर्ष की आयु में इलाहाबाद के म्योर कॉलेज में अध्यापक नियुक्त हुए। 1929 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हुए।1938 से 1947 तक प्रयाग विश्वविद्यालय के कुलपति थे। अधिवक्ता माया शंकर चौधरी ने कहा डॉ झा एक वर्ष काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। उत्तर प्रदेश और बिहार के लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रहे। अपनी विद्वता के लिए विश्व विख्यात थे। वे एक भाषा में बोलते समय दूसरी भाषाओं के शब्द का प्रयोग नहीं करते थे। 1954 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया। वे अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। उनका जन्म 25 फरवरी 18 सो 97 को और निधन 2 सितंबर 1955 को हुआ था।
बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव शिवशंकर झा ने कहा कि डॉ झा ने गणतंत्र स्थापना पश्चात ०1 ली अप्रैल 1953 से ०1 सितंबर 1955 तक बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रहे। आज के मिथिला के लोगों को डॉ झा से सीख लेनी चाहिए कि विपरीत परिस्थितियों के बाद भी आजादी पूर्व मिथिला में विद्वानों की कमी नहीं थी। लेकिन आज हम शैक्षणिक क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं।
अधिवक्ता मुरारी लाल केवल ने कहा कि आज के समय में शैक्षणिक तकनीकि में वृद्धि हुई है। फिर भी हम पिछड़ रहे हैं। जो चिंता का विषय है। कार्यक्रम में अनिता आनन्द, संतोष कुमार सिन्हा, नविनेन्द्र कुमार मिश्रा, हीरा नन्द मिश्र , कुमार उत्तम, मनोज कुमार, सुधीर कुमार चौधरी, भवनाथ मिश्रा, प्रमोद कुमार ठाकुर, पंकज कुमार सहित दर्जनों अधिवक्ता मौजूद थे।