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22 दिसम्बर, 2024
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संस्कृत विवि के वीसी ने कहा, भाषा के साथ चलेगा कंप्यूटर का क्लास

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संस्कृत विवि के वीसी ने कहा, भाषा के साथ चलेगा कंप्यूटर का क्लास

दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। यूजीसी के दिशा निर्देशों के आलोक में संस्कृत विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र विभाग के हॉल में प्राकशोध पाठ्यक्रम की औपचारिक शुरुआत के मौके पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शुक्रवार को कुलपति सर्व नारायण झा ने सभी गवेषकों को बताया कि जिस भाषा में शोध होना है उसका सम्यक ज्ञान बहुत जरूरी है। इसलिए भाषायी सबलता के लिए यहां अलग से संस्कृत के साथ साथ कंप्यूटर का भी क्लास चलेगा ताकि गवेषकों को शोध कार्य करने में आसानी हो। इन कक्षाओं से छात्र लाभ उठाएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि कक्षाओं की पंद्रह दिनों के अंतराल पर समीक्षा करें और समन्वयक इसकी जानकारी गवेषक छात्रों को भी दें। दोबारा किसी भी परिस्थिति में छूट नहीं दी जाएगी।

 

यह जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि इसके पूर्व कुलपति प्रो. झा ने प्राकशोध पाठ्यक्रम व शोध प्रविधि पर विस्तार से बताया। उन्होंने शोध कार्य के दौरान भाषायी व विषय के प्रति अनुशासित रहने की सलाह दी। इसके साथ ही वीसी ने शास्त्र व तकनीक के ज्ञान को आवश्यक बताते हुए कहा कि जो भी लिखें व्यवस्थित लिखें, तर्कसंगत लिखें। शोध प्रारूप व शोध प्रबंध को भी उन्होंने विस्तार से समझाया।लगे हाथ उन्होंने नकल न करने सलाह भी दी।अन्यथा की स्थिति में कानूनी सजा भुगतने का खतरा बताया। पाठ्यक्रम के समन्वयक डॉ. दिलीप कुमार झा के संचालन में हुए कार्यक्रम को व्याकरणाचार्य प्रो0 सुरेश्वर झा ने संबोधित करते हुए शोध कार्य करने के तौर तरीके को गहराई से समझाया। उन्होंने प्राकशोध पाठ्यक्रम को बहुत ही उपयोगी व जरूरी बताया और गवेषण, अन्वेषण व अनुसन्धान को परिभाषित किया। इस मौके पर प्रो. शशिनाथ झा ने भी पाठ्यक्रम की प्रसांगिकताओं को रेखांकित किया। डॉ. विद्येश्वर झा, डॉ. हरेंद्र किशोर झा,डॉ. पुरेंद्र वारिक समेत सभी विभागाध्यक्ष समेत छात्र गवेषक कार्यक्रम के दौरान मौजूद थे।

शिक्षक की भूमिका में रहे प्रोवीसी

प्राकशोध पाठ्यक्रम के शुभारंभ के मौके पर आज प्रोवीसी प्रो. चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह पूरी तरह से शिक्षक की भूमिका में नजर आए। करीब 35 मिनट के अपने अध्यापन में उन्होंने न सिर्फ इस पाठ्यक्रम की उपादेयता को सिरे से परिभाषित किया बल्कि इसके निहितार्थों को भी समझाया। उन्होंने साफ कहा कि शोध विषयों को कदापि नहीं दोहराएं। हाइपोथीसिस यानी परिकल्पना को शोधकार्य के लिए उन्होंने अहम बताया। इसी से कारण व कारक का रास्ता साफ होता है। यानी शोध कार्य सुचारू रूप से आगे बढ़ता है और अस्पष्ट करते हुए प्रोवीसी प्रो. सिंह ने कहा कि गढ़ी गयी परिकल्पना सत्य मानी जाती है अथवा नकार दी जाती है, यही तो शोध है। अपनी कक्षा को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि यह कोर्स शोध कार्य मे पूरी तरह मददगार होगा। किस तकनीक से और किस विधि से हम शोधकार्य करेंगे इसमें बेशक यह पाठ्यक्रम उसकी प्रमाणीकरण की पद्धति को भी बताता है। साथ ही शोध प्रबंध की क्षमता का विस्तार भी करता है। प्रोवीसी ने सभी छात्र गवेषकों को उन्नत शोध कार्य करने की शुभकामनाएं दी। इसी क्रम में दूसरी कक्षा के संचालन की जिम्मेदारी विशिष्ट अतिथि आयुर्वेदाचार्य प्रो. राजेश्वर दूबे ने निभाई।उन्होंने शोध क्या है, इसका स्वरूप क्या है तथा इसकी विधि क्या है जैसे विषयों पर लंबा व्याख्यान दिया। समन्वयक डॉ. झा ने बताया कि कक्षा बारह बजे से दो बजे तक प्रत्येक शुक्रवार व शनिवार को चलेगी।संस्कृत विवि के वीसी ने कहा, भाषा के साथ चलेगा कंप्यूटर का क्लास

 

 

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