मुख्य बातें
-प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे का इस्तीफा, स्पीकर से फौरन संसद का सत्र बुलाने का आग्रह
-जनता के उग्र प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे सरकारी आवास से भागे, छोड़ेंगे पद
-कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वहां की जनता के साथ एकजुटता जताई
आर्थिक संकट के बाद हिंसा से जूझ रहे श्रीलंका में हालात अब भी बेकाबू हैं। देश की अवाम गुस्से में है। भूखे-प्यासे लोग सड़कों पर हैं। कानून-व्यवस्था तार-तार हो चुकी है। भारी बवाल के बीच जनता ने राष्ट्रपति आवास पर कब्जा कर लिया है।
लोगों के गुस्से को देखते हुए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने इस्तीफा दे दिया है। ऐसा समझा जा रहा है कि अब सर्वदलीय सरकार का गठन हो सकता है। वहीं, श्रीलंका के मौजूदा हालात पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वहां की जनता के साथ एकजुटता जताई है।
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने हिंसक प्रदर्शन से देश में पैदा हुए संकट पर चर्चा करने के लिए शनिवार को सभी राजनीतिक दल के नेताओं की आपात बैठक के बाद इस्तीफा देने का फैसला लिया था। विक्रमसिंघे के कार्यालय ने कहा है कि स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने से फौरन संसद का सत्र बुलाने का आग्रह किया गया है। इस सत्र में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को हटाने का फैसला लिया जा सकता है।
श्रीलंका में बिगड़े आर्थिक हालात के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने शनिवार देर रात प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के घर को आग लगा दी है। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों की पुलिस से भिड़ंत भी हुई है। इससे पहले दोपहर में प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आवास पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद राष्ट्रपति को घर छोड़कर भागना पड़ा।
प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के घर को आग लगा दी। उनके घर के अंदर से काला धुआं दिखता नजर आ रहा है। वायरल हो रहे वीडियो में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी पीएम आवास के बाहर दिख रहे हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री आवास में मौजूद लोगों के बारे में कुछ पता नहीं चल सका है। इस बीच खबर है कि पीएम विक्रमसिंघे किसी सुरक्षित स्थान पर छिपे हुए हैं।
राष्ट्रपति भवन पर कब्जे के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी पीएम रानिल विक्रमसिंघे के प्राइवेट आवास पर पहुंचे। दरअसल, प्रदर्शनकारी पत्रकारों पर पुलिस के कथित हमले के बाद पीएम आवास पहुंचे हैं। यहां तनाव बढ़ता देख पुलिस ने पानी की बौछार कर कुछ प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने की कोशिश भी की है। हालांकि, अब भी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी वहां मौजूद हैं। पुलिस ने भी भीड़ को देखते हुए मोर्चा संभाल लिया है।
श्रीलंका में ताजा राजनीतिक हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि एक सर्वदलीय सरकार बनाने के लिए वे पार्टी नेताओं की सबसे अच्छी सिफारिश को स्वीकार करते हैं। रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने नागरिकों की सुरक्षा और सरकार की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया है। दावा किया जा रहा है कि जल्द ही श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे भी इस्तीफा दे सकते हैं।
इससे पहले शनिवार को यहां जमकर बवाल हुआ। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन का घेराव करने के बाद उस पर कब्जा कर लिया। हालांकि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे शुक्रवार को ही आवास छोड़कर भाग गए थे। प्रदर्शनकारियों ने देरशाम प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के घर को भी फूंक दिया। इस दौरान भीड़ को सुरक्षाबलों के बल प्रयोग का सामना करना पड़ा।
जनता का मिजाज भांपते हुए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने पद छोड़ने का मन बना लिया है।राजपक्षे ने स्पीकर से कहा है कि वह 13 जुलाई को इस्तीफा देंगे। स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने राष्ट्रपति के फैसले की घोषणा की है।
अगर ऐसा होता है तो संविधान के मुताबिक कार्यकाल पूरा होने से पहले राष्ट्रपति के पद छोड़ने पर संसद अपने किसी सदस्य को राष्ट्रपति चुन सकती है। यह प्रकिया राष्ट्रपति के इस्तीफे के एक एक महीने के भीतर शुरू होनी चाहिए। एक से ज्यादा उम्मीदवार होने पर गुप्त मतदान से राष्ट्रपति का चयन होगा। नए राष्ट्रपति के चयन तक प्रधानमंत्री कार्यवाहक राष्ट्रपति होंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री का कामकाज कैबिनेट का कोई सदस्य देखेगा। इस बीच ऐसी सूचना है कि राष्ट्रपति देश छोड़कर भाग गए हैं।
श्रीलंका इस समय आर्थिक संकट के दुष्चक्र में फंसा है। कुछ महीनों से महंगाई चरम पर पहुंच गई है। पेट्रोलियम पदार्थों के साथ ही रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की भी भारी कमी है। विदेशी मुद्रा भंडार खत्म है। विदेशी कर्ज बढ़कर 51 अरब डालर तक पहुंच गया है। श्रीलंका मई में पहली बार विदेशी कर्ज का भुगतान करने में विफल रहा।
वहीं, श्रीलंका के मौजूदा हालात पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वहां की जनता के साथ एकजुटता जताई है। सोनिया गांधी ने रविवार को एक वक्तव्य में कहा कि कांग्रेस पार्टी इस गंभीर संकट की घड़ी में श्रीलंका और उसके लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करती है और उम्मीद करती है कि वे इससे उबरने में सक्षम होंगे। हम आशा करते हैं कि भारत श्रीलंका के लोगों और सरकार की सहायता करना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अंतरराष्ट्रीय समुदाय से श्रीलंका को हर संभव सहायता और समर्थन देने का भी आग्रह करती है।
उल्लेखनीय है कि श्रीलंका में उभरती राजनीतिक स्थिति चिंताजनक है। आर्थिक चुनौतियों, बढ़ती कीमतों और भोजन, ईंधन एवं आवश्यक वस्तुओं की कमी ने वहां के लोगों के बीच भारी कठिनाई और संकट पैदा कर दिया है। शनिवार को लोग राष्ट्रपति भवन में घुस गए थे और राष्ट्रपति इससे पहले किसी अज्ञात स्थान पर चले गए।