बिरौल देशज टाइम्स डिजिटल डेस्क। बालश्रम दिवस के अवसर पर जिला के विभिन्न प्रखंड मुख्यालय में विभाग के अधिकारी लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाते हैं। लेकिन उनकी नजर के सामने बच्चे मजदूरी करते पाए जाते हैं तो वे अपना मुंह फेर लेते हैं।
क्योंकि, अधिकारी भी इस बात से अवगत हैं कि गरीबी ही इसका मुख्य कारण है। ऐसे में, बालश्रम पर अंकुश लग पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि सभी के लिए चुनौती बनता जा रहा है। बालश्रमिक हमारे समाज ही नहीं बल्कि पुरे सूबे के लिए चिंता का विषय है।
इसके लिए विभागीय अधिकारी से लेकर आमलोगों, जनप्रतिनिधियों को कागजी खानापूर्ति करने के बजाय नैतिक जिम्मेदारी लेनी होगी। जो हमारे समाज के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है। फिलहाल हम चर्चा कर रहे हैं, दरभंगा जिला के सभी प्रखंड क्षेत्र का जहां दर्जनों की संख्या में बाल श्रमिक ठेला रिक्शा खिंचते, होटलों में जूठन साफ करते, गैरेजों में श्रम करते देखने को मिलेंगे।
हांलाकि इसके पीछे बच्चों के अभिभावकों का सोर्स ऑफ इनकॉम की कमी मुख्य कारण माना जा रहा है। भाकपा माले के एरिया सचिव मनोज यादव ने बताया कि समाज के कुछ लोग वैसे हैं जो चंद पैसा देकर गरीब बच्चों से श्रम करवा कर उसके भविष्य से खिलवाड़ करते है। बालश्रम को जड़ से मिटाने के लिए सरकार को बालश्रमिक के परिवार का बेरोजगारी दुर करना होगा साथ ही समाज के लोगों को अपनी मानसिकता बदलनी होगी।