गायघाट, देशज टाइम्स। बिहार में शराबबंदी को लेकर प्रशासन हमेशा अलर्ट मोड में रहता है, लेकिन शराब के शौकिन कुछ लोग नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाने के लिए तैयार रहते है. पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई का किसी को भी खौफ नहीं है।गायघाट पुलिस भी शराब पकड़ने को लेकर लगातार छापेमारी शुरू कर कारवाई कर रही है। हालांकि गस्ती पुलिस ग्रामीण क्षेत्रों में कभी नहीं पहुंच रही है। इसका कारण यह हैं कि लोग शाम होते ही जाम छलकाने लगते हैं।
शराब कारोबारियों को नहीं है पुलिस का डर
ग्रामीण इलाकों में शराब कारोबारी को पुलिस का डर नहीं लग रहा है। सरेयाम शराब का धंधा हो रहा है।
हाल के दिनों में बिहार के कई अन्य जिलों में जहरीली शराब पीन से लोगों की मौत हो गई थी। अब आप हैरान होंगे कि बिहार में तो पूर्ण शराब बंदी चल रही है तो शराब कहां से मिल रहे हैं।
बिहार में शराब सिर्फ नाम का बंद है, स्थानीय लोग बताते हैं कि बिहार के शराब बंदी के बाद और भी शराब की बिक्री बढ़ी है। इनमें कई युवाओं का जीवन खराब हो रहा है। बेरोजगार युवा तेजी से इस अवैध व्यापार में शामिल होते जा रहे हैं। इससे अजीब स्थिति पैदा हो रही है। कम उम्र के बच्चे शराब के धंधे में उतर रहे हैं।
कहीं जहरीली शराब न बन जाए मौत का कारण?
जिस तरह से बड़े पैमाने पर लोग शराब पी रहे हैं। अगर ऐसी हालत रहे तो जहरीली शराब न मौत का कारण बन जाए। क्या पता कौन सा शराब जहरीली हो? थानाध्यक्ष अनूप कुमार ने बताया कि शराब धंधेबाज के विरूद्ध लगातार छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में भी सूचना मिलने पर ताबड़तोड़ कार्रवाई होंगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम के तहत अप्रैल 2016 में राज्य में शराबबंदी लागू की थी। शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बड़ी संख्या में लोग शराब पीने के आरोप में जेलों में बंद हैं। उल्लंघन करने वालों में अधिकांश आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और गरीब लोग हैं।
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