पुलिस का सिस्टम टूट रहा है। कनीय-वरीय की बात नहीं मान रहे। वरीय आदेश का सीधा खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। इसमें पुलिस विभाग के वैसे ओहदे दार शामिल हैं जो जिले और कमीशनरी के सबसे उच्चपदस्थ अधिकारी हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पुलिस विभाग में चल क्या रहा है? अगर ऐसे ही चलता रहा तो पूरा सिस्टम जल्द ही ध्वस्त होता दिखेगा! इसकी जवाबदेही भी लेने वाला कोई मिलेगा भी शायद समझना मुश्किल।
नए डीजीपी आरएस भट्टी के योगदान के बाद पूरे बिहार में इस बात की बेहद और गंभीर बनी हुई है कि पुलिस विभाग का सिस्टम पूरी तरह बदल जाएगा और अपराधी भी दौड़ेंगे और पुलिस भी चुस्त दिखेगी। लेकिन, जो खबरें पुलिस महकमा से छनकर आ रही है वह चौंकाती है। नए सिस्टम और नए पदाधिकारी का कहीं कोई रूतबा दिखाई नहीं पड़ रहा। तालमेल का पूरा अभाव अभी तक यथावत है।
एडीजी मुख्यालय जेएस गंगवार हालांकि लगातार इस कोशिश में बने हुए हैं कि पूरा सिस्टम सुधरे। कनीय वरिष्ठ की बात मानें और पुलिसिंग सही रूप में पूरे बिहार में व्यवस्थित तरीके से दिखे, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा। यहां तक कि जेएस गंगवार के पत्रों को भी एसएपी,एसएसपी,आईजी दरकिनार करते दिख रहे हैं।
फिर सवाल वही है। इस पुलिसिया सिस्टम को सही तरीके से लागू करेगा कौन? और इसमें आ रही दिक्कतों और वरीय अधिकारियों के आदेश की अवहेलना करने वालों पर समुचित कार्रवाई कैसे और कब होगा? पढ़िए देशज टाइम्स के अपराध ब्यूरो प्रमुख Sanjay Kumar Roy (सर्वश्रेष्ठ से जुड़ें 9835241923) की यह EXCLUSIV REPORT की पहली कड़ी
मुख्यालय के आदेश को कई जिले के वरीय पुलिस पदाधिकारी ऐसे ठेंगा दिखा रहें हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पुलिस विभाग अनुशासनिक विभाग है, लेकिन इसकी धज्जियां एसपी, आईजी रेंक के पदाधिकारी ही उड़ा रहें हैं।
अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) अपने पत्र संख्या 749 के माध्यम से सभी एसपी/एसएसपी/डीआईजी/आईजी को पत्र के माध्यम से कहा है कि स्थानांतरण आदेश का पालन नहीं हो रहा है।
उन्होंने निर्देशित किया है कि स्थानांतरण आदेश निर्गत होने तथा विरमित करने के बावजूद पुलिस पदाधिकारियों/कर्मियों की ओर से नव पदस्थापित कार्यालय/जिला/इकाई में भौतिक रूप से योगदान नहीं किया जा रहा है।
वहीं, इस संबंध में पुलिस मुख्यालय से बार-बार निर्देश दिया जाता रहा है। पुलिस मुख्यालय ने सभी वरीय पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक (रेल सहित) सभी स्तरों से किये गये स्थानांतरण आदेशों का अविलंब अनुपालन कराते हुये संबंधित पदाधिकारियों/कर्मियों को भौतिक रूप से प्रस्थान कराएं।
साथ ही उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि सात दिनों के भीतर सभी स्तरों से किए गये स्थानांतरण आदेश को लागू कराते हुये उसका प्रतिवेदन पुलिस मुख्यालय को भेजें। लेकिन मुख्यालय के इस आदेश के आलोक में एसपी/एसएसपी या आईजी ने इन आदेशों का पालन कराते हुये मुख्यालय को प्रतिवेदन नहीं भेजा है।
मजेदार बात तो यह है कि आलाधिकारियों ने कागज पर कई पुलिस कर्मियों को विरमित किया। और, उसे समायोजन भी कर लिया। इस कारण ऐसे पुलिसकर्मियों का मन काफी बढ़ा हुआ है। कई पुलिसकर्मियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि मोटी वसूली कर समायोजन किया गया है। समायोजन का आधार ज्यादातर चिकित्सीय प्रमाण पत्र है जो सभी फर्जी तरीके से बनाए गये है।
देशज टाइम्स इस क्षेत्र के कुछ वरीय पुलिस पदाधिकारियों के कारनामों को उजागर करता रहेगा। पढ़ते रहिए देशज टाइम्स।