तेलंगाना में हैदराबाद शहर के कुशैगुडा इलाके में स्थित एक अपार्टमेंट में एक ही परिवार के चार लोगों ने कथित तौर पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।
थानाध्यक्ष पी वेंकटेश्वरलू ने बताया कि मृतकों के शवों को मोर्चरी में रखवा दिया गया है। उन्होंने कहा पोस्टमार्टम अभी तक नहीं किया गया है। मृतक शवों को मोर्चरी में स्थानांतरित कर दिया गया है। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आगे की जांच जारी है।
अधिकारियों ने बताया कि मृतकों की पहचान सतीश, उसकी पत्नी वेधा और उसके दो बच्चों निशिकेथ (9) और निहाल (5) के रूप में हुई है। अधिकारियों ने कहा कि संदेह है कि यह घटना शुक्रवार रात को हुई, लेकिन पुलिस को शनिवार दोपहर इसकी सूचना मिली। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और मामला दर्ज कर लिया।
पुलिस ने बताया कि कुशैगुडा इलाके में एक पिता, मां और उनके दो बच्चों ने कथित तौर पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि दोनों बच्चे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं (मानसिक रूप से अस्वस्थ) से पीड़ित थे। इलाज के बाद भी बच्चे ठीक नहीं हो रहे थे। इससे माता-पिता डिप्रेशन में चले गए और उन्होंने (परिवार ने) आत्महत्या कर ली।
कुशाईगुड़ा पुलिस ने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों की स्वास्थ्य स्थितियों की देखभाल करने में असमर्थ थे। उन्होंने लड़कों को पोटैशियम सायनाइड खिलाया और बाद में खुद भी खा लिया। सतीश एक कमरे के एक कोने में पाया गया, जबकि बाकी तीन बिस्तर पर लेटे हुए थे।
कुशैगुडा थानाध्यक्ष पी वेंकटेश्वरलू ने कहा कि उनके कल रात मरने की आशंका जताई जा रही है लेकिन हमें आज दोपहर करीब दो बजे सूचना मिली। उन्होंने आगे कहा कि मृतकों के शवों को मोर्चरी में रखवा दिया गया है।
उन्होंने कहा, शवों का पोस्टमार्टम अभी तक नहीं किया गया है। मृतक शवों को मोर्चरी में स्थानांतरित कर दिया गया है। थानाध्यक्ष ने कहा कि इस मामले में पीड़ित के परिवार की ओर से कोई मामला दर्ज नहीं कराया गया है। फिलहाल जांच चल रही है।
पुलिस की शुरूआती जांच में बताया जा रहा है कि दंपत्ति के दोनों बच्चे बीमारी से ग्रसित थे। बड़ा बेटा निशिक जहां मानसिक रूप से विक्षिप्त था तो वहीं छोटा बेटा निहाल कान की समस्या से पीड़ित था।
पति-पत्नी ने दोनों का तमाम इलाज कराया, लेकिन वह ठीक नहीं हो रहे थे। बच्चों के दर्द को वह सहन नहीं कर पा रहे थे, वह लगातार डिप्रेशन में जाते जा रहे थे। इसलिए उन्होंने बेबस होकर मौत को गले लगाना ही उचित समझा।