दरभंगा, देशज टाइम्स अपराध ब्यूरो। एक महिला दरोगा ने एक लाख अस्सी हजार रुपए बतौर मैजिक मालिक से घूस लिए। इह मामले से अब धीरे-धीरे रहस्यों का पर्दा उठने लगा है। वह महिला दरोगा कोई और नहीं बल्कि बेंता थाना की थानाध्यक्ष लवली कुमारी हैं।
Darbhanga की महिला दरोगा…”साहिबा पर बड़े साहेब” का हाथ…!पिकअप वाली इस एक्सीलेटर में घूस वाली बड़ी डील…
यह बात हम नहीं कह रहे, यह आरोप उस मैजिक मालिक का है, जिसकी गलती इतनी भर थी कि उसने अपने काम के एवज में मैडम को घूस दिया। अब यह घूस क्यों दिया गया, क्यों लिया गया, किसके नाम पर लिया गया, क्यों भला एक अनाज से भरा पिकअप इतनी मोटी रकम बतौर घूस पुलिस को देखा भला, इस पूरी सच्चाई से जब पर्दा हम उठाएंगें तो होश उड़ जाएंगें। कारण, इस पूरे प्रकरण में जो घूस लिया गया उसकी एक बड़ी हिस्सेदारी में दरभंगा के एसएसपी साहेब का भी नाम आया है, जो पूरे मामले से अंजान हैं, मगर जो है नाम वाला वही तो बदनाम है। इसकी पूरी पड़ताल करती रपट हम आपको यहां बताने वाले हैं। पढ़िए Special Investigation Report By Sanjay Kumar Roy
कुछ दिनों पहले मैडम रात्रि ड्यूटी पर रात्रि गश्ती कर रही थीं। इसी दौरान एक पिकअप गाड़ी (BR07GB-1496) पकड़ी गई थी। इसके बाद उस गाड़ी को लेकर एक बड़ी डील हुई। बताया जा रहा है कि गाड़ी पर अनाज लदा हुआ था, लेकिन इस गाड़ी के मालिक से एक लाख अस्सी हजार बतौर घूस लेकर गाड़ी को छोड़ दिया गया।
गाड़ी छोड़ने के नाम पर जो रकम ली गई, उस रकम में एक लाख रुपए एसएसपी के नाम पर लिये गये थे। लेकिन, वास्तविकता तो यह है कि एसएसपी साहेब को इस घटना के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। और ना हीं, थानाध्यक्ष लवली कुमारी ने एसएसपी को पैसा दिया है। अब जानिए खबर विस्तार से
घटना नौ अप्रैल की रात की है। दोनार की ओर से पिकअप (मैजिक) गाड़ी आ रही थी। बताया जा रहा है कि इस पर अनाज लदा हुआ था। पुलिस को किसी ने इस बात की सूचना दे दी कि एक गाड़ी (बीआर 07जीबी -1496) पर अवैध रूप से अनाज ले जाया जा रहा है।
इसी सूचना पर पुलिस ने गाड़ी को अल्लपट्टी चौक पर जांच के दौरान पकड़ लिया। यही नहीं, उस गाड़ी को थाने पर लाया गया। और, वैसी जगह पर उसको खड़ी करवाया गया, जहां किसी की नजर नहीं पड़े।
गाड़ी चला रहे मालिक को पुलिस ने हिरासत में लिया। और, उसका मोबाइल जब्त कर लिया। गाड़ी का मालिक पंडासराय मुहल्ले का रहने वाला है, जिसका नाम अनिल कुमार उर्फ बबलू है। अब यह जानिए कि आखिर अनिल है कौन…?
अनिल पूर्व में सेना में कार्यरत था। सेवानिवृति के बाद अनिल ने मानदेय पर बिहार सरकार में वह भी पुलिस विभाग में ही नौकरी कर रहा था। इस गाड़ी के संबंध में अनिल से जब बात हुई, तो उन्होंने बताया कि सर यह मामला रफा-दफा हो गया है।
उसने बताया कि घूस के पैसे लिये गये थे, लेकिन सब मैनेज हो गया। मामला रफा-दफा हो गया। उन्होंने कहा कि घूस का पैसा मुझे नहीं देना पड़ा। बल्कि, विदेशी साह के बेटे ने दिया था। उन्होंने कहा कि अंत्योदय-अन्नपूर्णा अनाज जो गरीबों के बीच बांटा जाता है, वह अनाज विदेशी साह जैसे लोग कई डीलरों से अनाज खरीदकर बाजार में बेच देते हैं।
अनिल ने कहा कि मेरी गाड़ी किराए पर यह लोग लिए थे। और, ऐसा अवैध अनाज हमारे गाड़ी से ढोलवा रहे थे। इसी क्रम में मेरी गाड़ी बेंता पुलिस ने पकड़ ली। अनिल ने कहा कि पुलिस की ओर से जब्त मोबाइल को मांगकर मैंने विदेशी साह को फोन किया।
विदेशी का छोटा लड़का बेंता थाना आकर बेंता थानाध्यक्ष से बात की। पैसों की डील हुई। मुंशों के हाथों पैसा लिया गया। और, गाड़ी को कुछ जुर्माने की रसीद काटते हुए यह दिखाने की कोशिश की गई कि किसी को शक नहीं हो। इसके बाद गाड़ी को छोड़ दिया गया।
उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर मैंने डीएसपी, सिटी एसपी को भी आवेदन दिया। सिटी एसपी के यहां जब आवेदन देने पहुंचे थे तो सिटी एसपी के नहीं रहने के कारण एक महिला सिपाही ने उस आवेदन को अपने पास रखते हुए कहा था कि साहब आयेंगे तो उन्हें दें देंगे।
अनिल ने कहा कि शायद उक्त महिला सिपाही ने सिटी एसपी को आवेदन नहीं देकर डीएसपी अमित कुमार को फोन कर घटना की जानकारी दे दी। उन्होंने कहा कि इसके बाद एसडीपीओ अमित कुमार ने उन्हें बुलाया। और, कहा कि जो बात हुई वह बात गई। जो हुआ सो हुआ।
इस दौरान विदेशी साह समेत कई अन्य को भी डीएसपी साहब बुलाए थे। अनिल से जब इस पत्रकार की बात हो रही थी तो वह कहते-कहते यह भी कह दिया कि पुलिस जो पैसा लेती है, क्या वह वापस करती है।
इसका मतलब साफ है कि पुलिस के दबाव में मामला रफा-दफा तो हो गया। लेकिन, पैसा वापस नहीं हुआ है? खैर मामला जो भी हो इतना तो वह कह गए कि डीएसपी सदर अमित कुमार की ओर से इस मामले को रफा-दफा कर दिया गया है।
अब यह पूरा प्रकरण सामने आने पर सवाल उठता है कि एसडीपीओ सदर अमित कुमार को इस माफिया तंत्र से क्या सांठ-गांठ है? अगर सांठ-गांठ नहीं है तो बेंता थाना की थानाध्यक्ष पर कार्रवाई उनकी ओर से क्यों नहीं की गई। जब उन्हें थानाध्यक्ष लवली के बारे में शिकायत मिली तो उन्होंने बेंता थानाध्यक्ष पर कार्रवाई के बदले मामले को रफा दफा क्यों किया?
उन्हें जब पता चला कि मैजिक गाड़ी के छोड़ने के लिये बेंता थानाध्यक्ष की ओर से एक लाख अस्सी हजार रुपया बतौर घूस लिया गया है तो उन्हें समझौता कराने के बजाय सबसे पहले सिटी एसपी, एसएसपी को सूचना देनी चाहिये थी। लेकिन, उन्होंने वरीय पदाधिकारियों को सूचना देना मुनासिब नहीं समझा?
और, मामले को रफा-दफा करने में जुट गये? आखिर क्यों…? देशज टाइम्स ने चार मई को ही अपने खबर में लिखा था कि दो दिनों में इस पूरे मामले से पर्दा हटा देंगे सो देशज टाइम्स ने इस मामले की सच्चाई को सबके सामने लाकर रख दिया है।
Darbhanga की महिला दरोगा…”साहिबा पर बड़े साहेब” का हाथ…!पिकअप वाली इस एक्सीलेटर में घूस वाली बड़ी डील…
अनिल कुमार उर्फ बबलू ने यही आवेदन सिटी एसपी और एसडीपीओ को दिया था। लेकिन, इस आवेदन को रद्दी की टोकरी में डालते हुए मामले को रफा-दफा कर दिया गया। लेकिन, देशज टाइम्स ने कड़ी मेहनत के बाद सच्चाई को सामने लाया है।
अब देखना है कि सिटी एसपी या एसएसपी इस मामले पर क्या कार्रवाई करते हैं। वरीय पुलिस अधीक्षक की ओर से जिले के किसी डीएसपी को जांच में दिया जाता है तो मामले को रफा-दफा करने में देर नहीं लगेगी। हां, यह जांच अगर सिटी एसपी या किसी इंस्पेक्टर से कराई जाय तो मामले में दूध का दूध या पानी का पानी निकल जाएगा।
एक सवाल यहां उठना लाजमी है कि एक मैजिक गाड़ी पर लदे अनाज को लेकर कोई इतना पैसा बतौर घूस क्यों देगा? सवाल भी जायज है। दरअसल, उस गाड़ी पर लदा अनाज अंत्योदय अन्नपूर्णा योजना का था।
सरकार इस अनाज को गरीबों के बीच बहुत ही कम पैसों में बांटती है। ताकि, कोई भूखा नहीं रहे, लेकिन शहर में कई ऐसे माफिया हैं जो डीलरों से बहुत ही कम पैसों पर अनाज खरीद लेते हैं और छोटी-छोटी गाड़ियों से अपने गोदाम तक ले आकर ऊंचे दामों पर बेचने का अवैध धंधा अपनाए हुए हैं।
इसी क्रम में पंडासराय निवासी सेवानिवृत फौजी की गाड़ी पुलिस के हत्थे चढ़ गई। जो माफिया थे, जब उनको इस बात की खबर लगी तो मामला आगे नहीं बढ़े, इसलिए थाना को मैनेज कर एक बड़ी राशि दे दी गई। थाना को सूचना देने वाले ने इन बातों से थानाध्यक्ष को अवगत कराते हुए सूचना दे दिया था।
इसी सूचना का फायदा उठाकर थानाध्यक्ष ने मोटी रकम की मांग की। अंततः एक लाख अस्सी हजार में बात फाइनल हुई। पुलिस को चाहिए था कि इस अवैध और फर्जी तरीके से अनाज खरीद-बिक्री करने वालों के गैंग तक पहुंचती, कालाबाजारियों की कुंडली खंगालती, उन्हें सलाखों के बीच धकेलती। मगर यहां तो उल्टा हो रहा है, सिस्टम ही कालाबाजारियों, गोरखनाथों के हाथों गिरवी पड़ा है।
इस मामले में कई सबूत देशज टाइम्स के पास है। एक-एक कर एपिसोड के माध्यम से उजागर करते रहेंगे। मगर अब यह जान लीजिए आखिर इस पूरे घूस प्रकरण पर सदर डीएसपी अमित कुमार का क्या कहना है…
Darbhanga की महिला दरोगा…”साहिबा पर बड़े साहेब” का हाथ…!पिकअप वाली इस एक्सीलेटर में घूस वाली बड़ी डील…
डीएसपी अमित कुमार ने कहा कि इस तरह का आवेदन मेरे नजर में नहीं आया है। इस आवेदन का पता कर फिर डिटेल्स आपको बताते है? उन्होंने कहा कि आवेदन के ऐसे कई स्क्रीन शॉर्ट्स आते रहते हैं, जिसे देखना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस मामले का पता लगाते हैं।इधर, इस मामले में जब विदेशी साह से बात करने की कोशिश की गई कि तो उन्होंने कहा कि मेरा और अनिल का बेटा दोनों दोस्त है। मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन, जब इस संवाददाता ने जब मामले को कुरेदा तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि थानाध्यक्ष की ओर से लिए गए रिश्वत को वापस नहीं किया गया है।