इन नौ दिनों में मंदिर परिसर सजता रहा जगमगाता रहा अहर्निश मां श्यामा नामधुन में डूबा रहा। जय श्यामा माई जय श्यामा माई का रट लगाता पूरा शहर आज शांत है तो उम्मीद यही कि कल फिर अहले सुबह ही तो मां श्याम मिलेंगी वहीं उसी स्थान उसी रूप उसी स्वरूप में आशीष बांटतीं, भक्तों की पीड़ा हरती, जय श्यामा…।
श्यामाधाम परिसर माधवेश्वर से चंदन पांडेय, दरभंगा देशज टाइम्स ब्यूरो। नौ दिनों की भक्ति में पूरा मिथिलांचल आध्यात्मिक सुरलहरियों में उस तत्व से आत्ममंथित हो गया जहां से सिर्फ अगर कुछ दिखती है तो वह है आस्था। एक ऐसी आस्था जिसमें संगीत भी है तो श्रद्धा के पात्र हवन, धुंआ के साथ स्वस्थ रहने की पराकाष्ठा भी। यहां मन की शुद्धता के साथ तन की शुद्धता
भी मिट जाती है जब मां श्यामा नामधुन का रसास्वादन लोग करते हैं। मानों, स्वयं के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण ब्रह्म के लिए मानवता को समर्पित स्वस्थ, दीर्घायु रहने की कामना के साथ एक पूर्ण हठ, एक संपूर्ण योग जिसमें छलकती मिली पूरे नौ दिनों तक मां श्यामा का आशीष जिसके बरसात में फुहारों का आनंद लेते रहे अनंत भक्त जो लाखों में थे जिनकी गिनती सही मायने में बेहद कठिन था।
समापन के मौके पर कहीं भी कुछ दिखा तो वह थी रंगीन रोशनी और उसमें से झांकते सिर्फ महिला-पुरुष भक्तों के अनंत चेहरे। श्यामा नामधुन नवाह्न के समापन पर मां के दर्शन को श्यामा मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ा था
समापन के मौके पर कहीं भी कुछ दिखा तो वह थी रंगीन रोशनी और उसमें से झांकते सिर्फ महिला-पुरुष भक्तों के अनंत चेहरे। श्यामा नामधुन नवाह्न के समापन पर मां के दर्शन को श्यामा मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ा था। वैसे तो हर दिन सुबह से ही शहर के सभी रास्ते श्यामा मंदिर की ओर मुड़ जाते थे लेकिन आज बेहद खास मौका था। कोई भी वहां मौजूद
डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह की बातें, नगर विधायक संजय सरावगी की सहमति, प्रबुद्ध संस्कृत मर्मज्ञ पंडित श्रीपति त्रिपाठी के मुख से दो शब्द भला कैसे ना सुनना चाहेगा।वहीं, मौके पर सम्मानित होते दिखते हैं श्यामा माई पत्रिका के सर्वेसर्वा विनोद कुमार तो मौजूद अपने बच्चों का हाथ थामे अनंत श्रद्धा में निवेदित लोगों का झुंड। हर दिशा से मां का दर्शन करने की कामना
लेकर श्यामा मंदिर की ओर बढ़ रहे देर शाम तक लोगों के चेहरे मानों यही कह रहे थे क्यों खत्म हो गया नवाह महोत्सव, क्यों इसका समापन नौ दिनों में कर दिया गया क्यों नहीं यह मासिक चलता है। वहीं, कलाकारों की भक्ति भी अपने आप पूर्ण थी। ममता ठाकुर से लेकर सृष्टि के कलाकारों समेत अन्य कलाकारों मोहित खंडेलवाल के नृत्य नाटिका की टीम का वो अद्भुत
नृत्य प्रस्तुति या फिर भजन की दौर में गायिका सीखा या फिर थालों पर अंगुली की थाप पर नाचती अंकित कुमार की थिरकती जादू का कमाल था कि ऐसी शमां बांधी भक्तों को पूरा विश्वास था कि वे मां श्यामा से जो भी मांगेंगे, वो उनकी हर मुराद जरूर
पूरा करेंगी। शहर व ग्रामीण इलाकों के अलावा समस्तीपुर, मधुबनी व सीतामढ़ी से भी काफी संख्या में भक्त मां के दर्शन को पहुंचे। मंदिर परिसर में उमड़ी भक्तों की भीड़ में मुजफ्फरपुर जिला के भी दर्जनों लोग शामिल थे। मां के दर्शन को व्याकुल
लोगों ने कहा कि उन्हें हर साल नवाह्न का बेसब्री से इंतजार रहता है। मां श्यामा में इतनी शक्ति है कि वे सभी का दुख दूर कर देती हैं। इधर, पूरा परिसर सतरंगी रोशनी में सराबोर हो चुका था। सड़कें चहक रहीं थी तो मंदिर की आकर्षक सजावट से
लोगों की नजरें नहीं हट रही थीं। मां श्यामा नामधुन के बीच मां के दर्शन के लिए लोग कतार में बारी का इंतजार करते रहे मगर थके नहीं। भीड़ इतनी बढ़ गई थी कि व्यवस्था में लगे लोगों को उसे संभालने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। वहीं
व्यवस्था में जुटे पं. हेमचंद्र झा की मेहनत साफ दिख रही थी कि इन नौ दिनों में मंदिर परिसर सजता रहा जगमगाता रहा अहर्निश मां श्यामा नामधुन में डूबा रहा। जय श्यामा माई जय श्यामा माई का रट लगाता पूरा शहर आज शांत है तो उम्मीद यही कि कल फिर अहले सुबह ही तो मां श्याम मिलेंगी वहीं उसी स्थान उसी रूप उसी स्वरूप में आशीष बांटतीं, भक्तों की पीड़ा हरती, जय श्यामा…।
You must be logged in to post a comment.