समस्तीपुर न्यूज़: बिहार में भ्रष्टाचार की जड़ों पर अब सरकारी विभाग ही कुल्हाड़ी चला रहे हैं। निगरानी विभाग इन दिनों पूरी तरह से एक्शन मोड में है और भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए मुसीबत का सबब बन चुका है। क्या है विभाग की नई रणनीति और कैसे कस रहा है शिकंजा?
बिहार में सुशासन और पारदर्शिता लाने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (Vigilance Investigation Bureau) भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है। विभाग ने अपनी कार्यप्रणाली में तेजी लाते हुए भ्रष्ट आचरण में लिप्त सरकारी पदाधिकारियों और कर्मचारियों पर नकेल कसनी शुरू कर दी है।
निगरानी विभाग की सक्रियता
पिछले कुछ समय से निगरानी विभाग की टीमें राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगातार छापेमारी कर रही हैं। इन छापों के दौरान कई अधिकारी रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गए हैं, जबकि कुछ के ठिकानों से अकूत संपत्ति का खुलासा हुआ है। विभाग का यह सख्त रुख संदेश दे रहा है कि भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनकी प्राथमिकता शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करना और दोषियों को कानून के दायरे में लाना है। जनता से भी अपील की जा रही है कि वे भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जानकारी बेझिझक दें ताकि ऐसे तत्वों पर प्रभावी कार्रवाई हो सके।
पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर
सरकार का उद्देश्य सभी सरकारी विभागों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। निगरानी विभाग की यह सक्रियता इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इसका सीधा असर सरकारी कामकाज में सुधार और आम लोगों को मिलने वाली सेवाओं की गुणवत्ता पर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे कदम राज्य में स्वच्छ प्रशासन की स्थापना के लिए बेहद आवश्यक हैं। यह न केवल भ्रष्ट गतिविधियों पर लगाम लगाएगा, बल्कि ईमानदार अधिकारियों और कर्मचारियों के मनोबल को भी बढ़ाएगा। आने वाले समय में भ्रष्टाचार के खिलाफ इस अभियान के और तेज होने की उम्मीद है।








