पटना, देशज न्यूज। वैसे तो बिहार से राज्य सभा के लिए पांच सीटों पर ही चुनाव होना है लेकिन विभिन्न पार्टियों की ओर से अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा किए जाने के बाद बिहार में बहुत से राजनीतिक व सामाजिक समीकरण बिगड़ते दिख रहे हैं।
बुधवार की शाम व गुरुवार की सुबह तक भाजपा, जदयू व राजद ने अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया। राजद के दोनों उम्मीदवारों ने आज ही अपने पर्चे भी भर दिए। भाजपा व जदयू के उम्मीदवार कल नामांकन करेंगे। लेकिन उम्मीदवारों के नाम सामने आते ही हर पार्टी में थोड़ी- बहुत नाराज़गी देखने को मिल रही है।
कांग्रेस की राजद से नाराज़गी,राजद से शरद यादव की नाराज़गी,भाजपा में उम्मीदवार के नाम को लेकर नाराज़गी,राजद में एक उम्मीदवार को लेकर पार्टी के लोगों में आश्चर्य व नाराज़गी। केवल जदयू ऐसी पार्टी है जहां कोई सुगबुगाहट नहीं है. कहकशां परवीन को दूसरा मौका नहीं दिया गया है परन्तु वह नाराज़ नहीं हैं।
सब से ज्यादा नाराज़गी कांग्रेस में दिख रही है। राजद की तरफ से अपने दो उम्मीदवारों की घोषणा के बाद महागठबंधन में असंतोष पैदा हो गया है क्योंकि राज्यसभा की एक सीट पर कांग्रेस ने दावेदारी पेश की थी लेकिन राजद ने उसे अनसुना कर दिया। बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने तो पत्र लिख कर राजद को उसका वादा भी याद दिलाया था, प्राण जाए पर वचन न जाए जैसी बात कही थी लेकिन राजद पर उसका भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने तो यहां तक कह दिया, गोहिल का कोई पत्र राजद को नहीं मिला था। उन्होंने गोहिल के पत्र को ही फर्जी करार दिया। इसके बाद अब कांग्रेस हमलावर हो गई है। कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा, महागठबंधन को अडियल रवैये के साथ चलाना मुश्किल होगा।
भाजपा ने कार्यकाल पूरा करने वाले दोनों सदस्यों को फिर से राज्य सभा भेजने से मना कर दिया लेकिन एक सदस्य सी पी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर को टिकट दे दिया है। इसको लेकर पार्टी के अंदर नाराज़गी नज़र आ रही है। भाजपा केवल एक उम्मीदवार को ही राज्य सभा भेजने की स्थिति में है लेकिन ठाकुर को उम्मीदवार बनाने से पार्टी का एक मजबूत वोट बैंक कायस्थ समाज नाराज हो गया है।
अपने पहला टर्म पूरा कर रहे आरके सिन्हा को तरजीह नहीं मिलने के बाद अब कायस्थ समाज में गोलबंदी शुरू हो गई है। सिन्हा का अखिल भारतीय स्तर पर कायस्थ समाज में बहुत सम्मान है। बिहार भर के कायस्थों ने अब खुलकर बीजेपी के प्रति अपनी नाराजगी जताने का फैसला किया है।
राजद से केवल कांग्रेस की ही नाराज़गी नहीं है, वरिष्ठ नेता शरद यादव भी बहुत नाराज़ हो गए हैं। उन्हें उम्मीद थी, लालू यादव उन्हें राज्य सभा भेजवा देंगे. लालू के दरबार में हाजरी भी लगायी थी,लेकिन अब वह नाउम्मीद हो गए हैं। नीतीश कुमार से अलग होने के बाद उन्होंने लोकतांत्रिक जनता दल बनाया था। पिछले लोक सभा चुनाव में लालू ने उन्हें मधेपुरा से राजद का टिकट दिया था मगर वह हार गए. उनकी पार्टी का विलय भी राजद में नहीं हो सका. एनडीए के पूर्व संयोजक शरद यादव के सामने फ़िलहाल कोई और रास्ता भी नहीं बचा है,वह किधर जाएं।