दरभंगा। वकालतखाना भवन, दरभंगा में बुधवार को तीन महान स्वतंत्रता सेनानियों — अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, और झांसी की रानी रेजीमेंट की प्रथम कैप्टन डॉ. लक्ष्मी सहगल — को याद करते हुए एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
अधिवक्ताओं ने पुष्पांजलि अर्पित कर दी श्रद्धांजलि
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता रमणजी चौधरी ने की। अधिवक्ताओं ने तीनों विभूतियों के तैल चित्रों पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। सभा में मौजूद सभी वकीलों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इनके अविस्मरणीय योगदान को याद किया।
चंद्रशेखर आजाद: युवावस्था में बलिदान की मिसाल
अधिवक्ता अरुण कुमार चौधरी ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद ने अपने अल्पायु में ही स्वतंत्रता संग्राम में सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
लोकमान्य तिलक: स्वराज का उद्घोष करने वाले अग्रदूत
उन्होंने आगे कहा कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने अपने विचारों और लेखनी से देश को जागरूक किया। वे स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है जैसे नारों के साथ गरम दल के प्रमुख नेता रहे और स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी।
डॉ. लक्ष्मी सहगल: आज़ाद हिन्द फौज की शेरनी
डॉ. लक्ष्मी सहगल, जिन्हें पद्मविभूषण सम्मान भी प्राप्त है, ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिन्द फौज में झांसी की रानी रेजिमेंट की पहली कैप्टन के रूप में कार्य किया। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा संभालते हुए अद्वितीय साहस दिखाया।
इन अधिवक्ताओं ने दी श्रद्धांजलि
इस अवसर पर अचलेंद्र नाथ झा, मनोज कुमार मनमौजी, डॉ. राजीवचंद्र झा, मायाशंकर चौधरी, विष्णुकांत चौधरी, श्याम बिहारी राय, अनीता आनंद, संतोष कुमार सिन्हा, नितीश कुमार, विनय कुमार झा (लिपिक), मुरारी यादव समेत दर्जनों अधिवक्ताओं ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।