
कुशेश्वरस्थान पूर्वी (दरभंगा), देशज टाइम्स। कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के उजुआ सिमरटोका पंचायत में गबन प्रकरण उजागर होने के बाद ठप पड़े विकास कार्यों को गति देने के लिए एक बड़ा प्रशासनिक निर्णय लिया गया है। पंचायत के मुखिया भज्जू महतो उर्फ रमेश महतो और तत्कालीन पंचायत सचिव दिनेश कुमार चौधरी पर गबन का आरोप सिद्ध होने के बाद, पंचायत के विकास कार्य बाधित हो गए थे। इस स्थिति में प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) अशोक कुमार जिज्ञासु ने जानकारी दी कि अब पंचायत की उपमुखिया सोनी देवी को पूर्ण वित्तीय प्रभार सौंप दिया गया है।
गबन के आरोप और प्राथमिकी दर्ज
बीडीओ ने बताया कि पंचायत की विभिन्न योजनाओं में लगभग 21 लाख रुपये का गबन साबित हुआ है। यह गबन पंद्रहवीं वित्त आयोग (15th Finance Commission) तथा षष्ठम राज्य वित्त आयोग (6th State Finance Commission) की योजनाओं से जुड़ा हुआ था।
28 मार्च 2025 को बिहार लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। इसके आलोक में 3 अप्रैल 2025 को मुखिया भज्जू महतो और पंचायत सचिव दिनेश कुमार चौधरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से दोनों आरोपी फरार हैं और अब तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
पंचायत के विकास कार्य हुए ठप
गबन के आरोप सामने आने के बाद पंचायत के लगभग सभी विकास कार्य ठप हो गए थे। योजनाओं का क्रियान्वयन रुक गया। ग्रामीणों की मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी कई परियोजनाएं अधर में लटक गईं। पंचायत स्तर पर प्रशासनिक कार्यप्रणाली प्रभावित हुई। गांव के लोगों का कहना है कि आरोपियों के फरार रहने और कार्यवाही के लंबा खिंचने से जनता को परेशानी उठानी पड़ी।
उपमुखिया सोनी देवी को सौंपी गई जिम्मेदारी
इस स्थिति को सुधारने के लिए प्रशासन ने निर्णायक कदम उठाते हुए पंचायत की उपमुखिया सोनी देवी को वित्तीय प्रभार सौंपा है। अब वे पंचायत की सभी योजनाओं और वित्तीय लेन-देन की जिम्मेदारी संभालेंगी। बीडीओ ने स्पष्ट किया कि यह कदम पंचायत के विकास कार्यों को पटरी पर लाने के लिए जरूरी था। ग्रामीणों को उम्मीद है कि अब रुकी हुई योजनाओं को दोबारा गति मिलेगी।
भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश
इस प्रकरण ने एक बार फिर दिखाया है कि पंचायती स्तर पर गबन और भ्रष्टाचार को प्रशासन गंभीरता से ले रहा है। बिहार सरकार पहले भी कई बार पंचायत स्तर पर गबन और अनियमितताओं पर कार्रवाई करती रही है।
पंचायत प्रतिनिधियों पर गबन साबित होने पर कानूनी कार्यवाही तय है। फरार रहने वाले आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार प्रयासरत है। पंचायत में प्रशासनिक पारदर्शिता बहाल करना ही इस कदम का मुख्य उद्देश्य है।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
पंचायत के ग्रामीणों ने इस कदम का स्वागत किया है। ग्रामीणों का कहना है कि अब रुके हुए विकास कार्य पूरे होंगे। सड़क, नाली, पेयजल और अन्य योजनाएं दोबारा शुरू होंगी।उपमुखिया को जिम्मेदारी मिलने से जनहित के काम गति पकड़ेंगे।
21 लाख रुपये के गबन ने विकास कार्यों को
उजुआ सिमरटोका पंचायत में हुए 21 लाख रुपये के गबन ने विकास कार्यों को गहरी चोट पहुंचाई। परंतु प्रशासन द्वारा उपमुखिया सोनी देवी को वित्तीय प्रभार दिए जाने से अब स्थिति संभलने की उम्मीद है। यह कदम पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश देने के साथ-साथ ग्रामीणों के जनहित कार्यों को गति देने का भी प्रयास है।
इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि पंचायती राज व्यवस्था में पारदर्शिता बनाए रखना और योजनाओं का सही क्रियान्वयन सुनिश्चित करना कितना आवश्यक है।