बेनीपुर से सतीश चंद्र झा की रिपोर्ट। जहां सम्पूर्ण भारत वर्ष में चैत्र शुक्ल नवमी को रामनवमी के अवसर पर बजरंगबली का ध्वजारोहण की परम्मरा है। वहीं बेनीपुर प्रखण्ड के मकरमपुर गांव अवस्थित महावीर जी मंदिर प्रांगण में भादव कृष्ण नवमी को एक साथ हजारों ध्वजारोहण कौतुहल का विषय बना हुआ है।
जय बाबा केदार..!
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अनुमंडल मुख्यालय से पाँच किलोमीटर उतर दिशा में बहेड़ा -झंझारपुर पथ में अवस्थित मकरमपुर गाँव में स्थापित महावीर जी मंदिर प्रांगण में मंगलवार को आयोजित सामूहिक ध्वजारोहण कार्यक्रम उत्सव महोत्सव की अनुपम छटा बिखेरती नजर आ रही है।
मन्नते पूरा होने के बाद ध्वजा अर्पण किया था…
आज के दिन अनुमंडल क्षेत्र के हर सड़क की दिशा मकरमपुर की तरफ ही नजर आने लगती है ा इस स्थान की धार्मिक महता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चार दशक पूर्व भारत सरकार के पूर्व रेल मंत्री स्व ललित नारायण मिश्र, ग्रामीण विकास मंत्री स्व. हरिनाथ मिश्र मन्नते पूरा होने के बाद ध्वजा अर्पण किया था।
निवर्तमान सांसद कीर्ति झा आजाद, वर्तमान सांसद गोपाल जी ठाकुर विधायक विनय कुमार चौधरी प्रतिवर्ष शीष झुकाने पहुंचते हैं। क्षेत्रिए लोगों के अलावे दरभंगा, मधुबनी, सीतामढी, सहरसा, समस्तीपुर के अलावे परोसी देश नेपाल के श्रद्धालु भी पहुँचकर ध्वजा चढाते हैं।
स्थान की मान्यता में बहुत किंवदन्ति है
वैसे तो इस स्थान की मान्यता में बहुत किंवदन्ति है। कुछ लोग पूर्व समय में महामारी के रोकथाम में पुजारी को स्वप्न के बाद ध्वजारोहण की परम्परा शुरु होने और कालान्तर में आस्था, विश्वास में बृद्धि को कारण बताते है।
वहीं पंचायत के पूर्व मुखिया एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेश नारायण चौधरी और कांग्रेस के युवा नेता राहुल झा बताते हैं कि हम लोग जलेवार गरौल के मूल निवासी जो वर्तमान में अलीनगर प्रखण्ड में अवस्थित है।
मुगलकालीन शासन के समय इनके छठे पीढी कन्हैया चौधरी…
मुगलकालीन शासन के समय इनके छठे पीढी कन्हैया चौधरी वहाँ के प्रताड़ना से तंग आकर घर बार छोड़ इस स्थान पर आज ही के दिन शरण लिया और वास लेने से पूर्व महावीर जी का स्थापना किया ा आगे चलकर हरियठ मौजा को लेकर राज दरभंगा से मोकदमा चला जिसमें मन्नते की गयी थी।
जीत के बाद दो ध्वजा अर्पण करेंगे और यह परम्परा ग्रामीणों के साथ साथ बाहरी लोगों के लिए भी आस्था और श्रद्धा का केन्द्र बन गया।
श्री चौधरी बताते है कि पिछले वर्ष सात हजार से अधिक ध्वजा स्थापित की गयी थी ा और प्रतिवर्ष इसमें इजाफा हो रही है, वर्तमान समय में इस परिसर में पाँच बिभिन्न देवी देवताओं के मंदिर सहित एक धर्मशाला श्रद्धालु द्वारा निर्माण कराये गये हैं।
यहाँ के पूजा का प्रावधान है कि एक ध्वजा चढाने वाले तीन ब्राह्मण और दो कुंवारी कान्याओं को भोजन कराते है और प्रसाद में मूल रूप से चुड़ा, दही, चीनी, केला और मिठाई का ही उपयोग करते हैं।