बिहार की सड़कों पर हर दिन होने वाले हादसों में घायलों को समय पर इलाज न मिल पाने से अब उनकी जान नहीं जाएगी! राज्य सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है, जिसके बाद अब सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल लोगों को तुरंत चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी। इस नई व्यवस्था के तहत हर जिले में शहर से दूर, सीधे हाईवे के किनारे अत्याधुनिक ट्रॉमा सेंटर खोले जाएंगे।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या को कम करना और घायलों को “गोल्डन आवर” में ही जीवनरक्षक उपचार उपलब्ध कराना है। इसके अलावा, दो बेहतरीन निजी अस्पतालों में भी विशेष ट्रॉमा सेंटर तैयार किए जाएंगे, जहाँ सड़क हादसों के पीड़ितों का इलाज पूरी तरह मुफ्त होगा।
हाईवे पर ही क्यों ट्रामा सेंटर?
अक्सर देखा गया है कि सड़क दुर्घटनाएं अधिकतर नेशनल या स्टेट हाईवे पर होती हैं। हालांकि, इन हादसों में घायल हुए लोगों को बड़े अस्पतालों तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है, क्योंकि अधिकांश बड़े अस्पताल शहरों के अंदर स्थित होते हैं। एम्बुलेंस को शहर के ट्रैफिक से गुजरकर घटनास्थल तक पहुंचने और फिर मरीज को अस्पताल ले जाने में काफी कीमती वक्त जाया हो जाता है, जिससे कई गंभीर मरीज समय पर इलाज न मिलने के कारण अपनी जान गँवा देते हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, यदि ट्रॉमा सेंटर सीधे हाईवे से जुड़े होंगे, तो एम्बुलेंस 5 से 10 मिनट के भीतर घटनास्थल पर पहुंच सकेगी। इससे गंभीर मरीजों को तुरंत प्राथमिक उपचार मिल पाएगा और उनके जीवित बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी। यही कारण है कि राज्य सरकार ने अब शहरों से दूर, सीधे हाईवे के किनारे इन जीवनरक्षक केंद्रों को स्थापित करने का निर्णय लिया है।
डीएम की अगुवाई में बनेगी विशेष कमेटी
इस महत्वपूर्ण योजना को सफल बनाने के लिए बिहार सरकार ने हर जिले में एक विशेष कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। इस कमेटी की अध्यक्षता जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) करेंगे। कमेटी का मुख्य कार्य हाईवे के आसपास उपयुक्त भूमि की पहचान करना और उसकी रिपोर्ट विभाग को सौंपना होगा, जिसके बाद ट्रॉमा सेंटरों के निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा।
इस विशेष कमेटी में निम्नलिखित अधिकारी शामिल होंगे:
- जिला मजिस्ट्रेट (अध्यक्ष)
- एसपी (ट्रैफिक) या डीएसपी (ट्रैफिक)
- सिविल सर्जन
- जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीओ)
- पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता
यह कमेटी जिले के उन क्षेत्रों का गहन सर्वेक्षण करेगी, जहाँ सड़क हादसे सबसे अधिक होते हैं। इसी सर्वेक्षण और आंकड़ों के आधार पर ट्रॉमा सेंटर के लिए स्थान का चयन किया जाएगा ताकि वे सबसे प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें।
प्राइवेट अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज
इस सरकारी पहल के साथ-साथ, राज्य के प्रत्येक जिले में कम से कम दो बेहतर निजी अस्पतालों को भी ट्रॉमा सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा। इन निजी ट्रॉमा सेंटरों में सड़क हादसों में घायल होकर आने वाले मरीजों का इलाज पूरी तरह से निःशुल्क होगा। इलाज का यह पूरा खर्च बिहार राज्य सरकार वहन करेगी।
इस मुफ्त इलाज की सुविधा के लिए सड़क सुरक्षा फंड का उपयोग किया जाएगा। यह कदम विशेष रूप से गरीब और सामान्य परिवारों से आने वाले मरीजों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा, जिन्हें अब गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा के लिए कोई खर्च नहीं उठाना पड़ेगा। इस व्यापक योजना का एकमात्र लक्ष्य बिहार की सड़कों पर होने वाले हादसों से होने वाली मौतों को रोकना और घायलों को हर हाल में समय पर सबसे बेहतर इलाज मुहैया कराना है।




