बिरौल, देशज टाइम्स ब्यूरो। बिहार में शराब बंदी के चार वर्ष बाद भी अनुमंडल क्षेत्र में शराब की तस्करी जारी है। इस कारोबार में लगे बड़े कारोबारी बेरोजगार यूवाओं के माध्यम से पीने के शौकीन लोगों के घर-घर तक शराब पहुंचा रहे हैं। इस एवज में उन युवाओं को अच्छी खासी कमाई हो जाती है।
स्थाानीय ग्रामीण बताते हैं, बिरौल में शराब माफिया पर नकेल कसने में पुलिस की विशेष रूचि नहीं दिखती। पुलिस का पूरा संरक्षण शराब माफिया को मिल रहा है। यही वजह है, बड़ी मछली अब भी पकड़ से दूर है। हद यह, फोन करने के बाद भी पुलिस एक्शन नहीं लेती। वैसे, एसडीपीओ कहते हैं, ऐसा नहीं है।
जानकारों ने देशज टाइम्स को बताया, शराब की होम डिलीवरी में कई ऐसे छात्र भी संलिप्त हैं जो आगे की शिक्षा की तैयारी के लिए इस कार्य को बहुत ही सावधानी से अंजाम दे रहे हैं। वैसे, पुलिस कुछ छोटे शराब के कारोबारियों व शराब जरूर जब्त कर रही है, लेकिन पुलिस बड़े शराब के कारोबारियों की गिरफ्तारी में आज तक सफल नहीं हो पाई है या नहीं कर पाई है।
शराब बंदी वर्ष 2016 में जिले के लगभग सभी थाना क्षेत्र में बहुत हद तक इस पर अंकुश पा लिया गया था। लेकिन, वर्तमान में शराब की अवैध कारोबार चरम पर है। एक व्यक्ति ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर देशज टाइम्स को बताया, उन्होंने दो बार स्थानीय पुलिस को शराब कारोबार की सूचना दी, बावजूद पुलिस शराब के खेप को पकड़ने नहीं आई।
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