— बिहार प्रशासनिक सेवा के तेजतर्रार अधिकारी मनीष कुमार झा ने बेनीपुर अनुमंडल पदाधिकारी (SDO) का पदभार ग्रहण कर लिया है। लेकिन उनके सामने समस्याओं का पहाड़ खड़ा है — भ्रष्टाचार, अतिक्रमण, पेयजल संकट और सड़क जाम जैसे मुद्दे प्राथमिक चुनौती बनकर सामने हैं।@सतीश झा,बेनीपुर-दरभंगा, देशज टाइम्स।
Darbhanga के मदरसा में ‘ …भीख मांगती हिंदू लड़की, फिर? देखें VIDEO
View this post on Instagram
बड़ी जिम्मेदारी, छोटा अनुमंडल, लेकिन समस्याएं व्यापक
बेनीपुर अनुमंडल आकार में भले ही राज्य के सबसे छोटे अनुमंडलों में शुमार हो, लेकिन काम और विभागों की संख्या किसी बड़े अनुमंडल से कम नहीं। मनीष झा जैसे अफसर के लिए यह एक परीक्षा की घड़ी है, जिन्होंने सहरसा सदर में प्रोबेशन पदाधिकारी और कटिहार में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के रूप में प्रभावशाली कार्य किए हैं।
अतिक्रमण बना यातायात जाम का स्थायी कारण
मुख्य सड़कों पर अतिक्रमण के कारण नित्य यातायात जाम की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। स्कूली बच्चों, एम्बुलेंस, और आम नागरिकों को भीषण गर्मी में लंबा इंतजार करना पड़ता है। सड़कों पर ठेला-खोमचा से लेकर स्थायी दुकानें तक बेतरतीब ढंग से फैली हुई हैं।
जल संकट और भ्रष्टाचार से लोग त्रस्त
पंचायत और विभागीय स्तर पर भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि अधिकांश जल नल योजनाएं फेल हो चुकी हैं। गर्मी में जल संकट के कारण गांव-गांव में जनाक्रोश की स्थिति बन चुकी है। मनरेगा, नलकूप, ग्रामीण कार्य विभाग जैसी योजनाओं में भी भारी अनियमितताएं सामने आ रही हैं।
कृषि क्षेत्र की बड़ी समस्या: भूमि विवाद और निष्क्रिय अंचल कार्यालय
बेनीपुर कृषि प्रधान क्षेत्र है लेकिन किसानों को भूमि विवाद के निपटारे के लिए भटकना पड़ रहा है। अंचल कार्यालय में निचले स्तर से लेकर ऊपर तक फैला भ्रष्टाचार आम किसानों के लिए मुसीबत से कम नहीं है। अब देखना है कि बेनीपुर अनुमंडल जो की समस्याओं के मकर जाल में फंसा हुआ है उसे कहां तक निजात दिला पाते हैं।
समस्याएं एक जगह नहीं, पग-पग पर है
बेनीपुर अनुमंडल वैसे तो विधि व्यवस्था के मामले में शांतिपूर्ण माने जाते हैं लेकिन सबसे बड़ी समस्या अतिक्रमण के बढ़ते दायरे के कारण मुख्य सड़क पर नित्य प्रतिदिन होती लंबी जाम है। इसके कारण स्कूली बच्चे, एंबुलेंस सेवा सहित आम नागरिकों को भीषण गर्मी और तेज धूप में फंसकर दो-चार होना पड़ता है। इसके बाद पंचायत स्तर पर एवं विभागीय स्तर पर फैले भ्रष्टाचार के कारण अधिकांश जल नल योजनाएं विफल साबित हो रही है। इससे इस भीषण गर्मी में आम लोगों में आक्रोश पनपना तो लाजिमी ही है।
भूमि विवाद की समस्या से सिहरता बेनीपुर
दूसरी ओर, पंचायत की विकास योजनाओं से लेकर प्रखंड स्तर एवं मनरेगा सहित ग्रामीण कार्य विभाग, नलकूप विभाग सहित अन्य निर्माण एजेसियों में भ्रष्टाचार गहराई तक जमी हुई है। इधर कृषि बाहुल्य इस बेनीपुर अनुमंडल में किसानों के भूमि विवाद की समस्या की निदान के लिए अंचल कार्यालय पूर्णता विफल साबित हो रही है।
ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती है
खासकर अंचल कार्यालय में निचले स्तर से लेकर ऊपर तक फैले भ्रष्टाचार के कारण किसानों को काफी फजीहत झेलनी पड़ती है। फलस्वरूप किसानों में शासन प्रशासन के प्रति नाराजगी स्पष्ट रूप से देखी जा रही है। सरकार द्वारा समय पर नए-नए निर्देश जारी किए जाते हैं लेकिन निचले स्तर पर फिर वही ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती है।
एक और बड़ी समस्या सामने खड़ी है जो…
लेकिन ऐसा नहीं है की पूर्ववर्ती पदाधिकारी इसके लिए समुचित प्रयास नहीं किया लेकिन प्रयास के बावजूद आशानुरूप सफलता नहीं मिल सकी। वर्तमान समय में नव पदस्थापित अनुमंडल पदाधिकारी के समक्ष एक और बड़ी समस्या सामने खड़ी है जो अधिकांश प्रखंड एवं अंचल स्तरीय पदाधिकारी प्रभार में ही चल रहे हैं जो की समुचित समय बेनीपुर के लिए निकाल पाने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं।
लोगों की उम्मीद सातवें आसमान पर
फिर भी युवा एवं उर्जावान बिहार प्रशासनिक सेवा के नवस्थापित अनुमंडल पदाधिकारी पर लोगों को काफी आस लगी है ।लेकिन यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि ये कहां तक सफल हो पाएंगे और आम जनता का दिल जीतने में कहां तक सफल हो पाएंगे।