दरभंगा: शिक्षक नियुक्ति विवाद में हत्या करने वाले 5 दोषियों को उम्रकैद, कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला| लगमा हत्याकांड में न्याय! चेहरे को कुचल कर की थी हत्या, कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा| 6 साल बाद मिला इंसाफ! दरभंगा कोर्ट ने 5 को सुनाई उम्रकैद, कुचले शव से की थी पहचान|@दरभंगा, कोर्ट रिपोर्टर, देशज टाइम्स।
2016 के हत्याकांड में कोर्ट का फैसला
शिक्षक भर्ती के झगड़े में ली गई जान! दरभंगा कोर्ट ने सुनाई सश्रम आजीवन कारावास|कोर्ट का बड़ा फैसला: पांचों अपराधियों को उम्रभर जेल, नहीं भरे जुर्माना तो और 1 साल जेल|दरभंगा हत्या कांड में सभी 5 दोषी दोषी करार, कुचल कर की गई थी हत्या – कोर्ट ने सुनाई कठोर सजा| 2016 के हत्याकांड में कोर्ट का फैसला: सश्रम उम्रकैद + ₹1 लाख जुर्माना, नहीं चुकाया तो और जेल@दरभंगा, कोर्ट रिपोर्टर, देशज टाइम्स।
लगमा गांव हत्या कांड: दरभंगा कोर्ट ने पांच दोषियों को सुनाई आजीवन सश्रम कारावास की सजा
दरभंगा DeshajTimes ब्यूरो, कोर्ट रिपोर्टर | दरभंगा जिला के तृतीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश सुमन कुमार दिवाकर की अदालत ने लगमा गांव के मदन मोहन चौधरी हत्याकांड में पांच अभियुक्तों को आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने इन सभी को हत्या और आपराधिक साजिश के आरोप में दोषी ठहराया।
इन दोषियों को सुनाई गई सजा
सजा पाने वाले आरोपी हैं: सुनील कुमार झा (बलौर निवासी), किशोर कुमार चौधरी, राघवेंद्र चौधरी, ध्रुव कुमार चौधरी, सिद्धार्थ शंकर चौधरी (सभी लगमा गांव निवासी)।
इन सभी को भादवि की धारा 302 के तहत सश्रम आजीवन कारावास और ₹50,000 जुर्माना, तथा धारा 120(B) के तहत कठोर आजीवन कारावास और ₹50,000 जुर्माना की सजा सुनाई गई है। जुर्माना न देने की स्थिति में उन्हें प्रत्येक धारा के लिए एक-एक वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
हत्या का कारण: शिक्षक नियुक्ति विवाद
एपीपी रेणु झा और अधिवक्ता अमरेंद्र नारायण झा के अनुसार, हत्या का मुख्य कारण श्री शंकर संस्कृत विद्यालय, लगमा में शिक्षक की नियुक्ति को लेकर उपजा विवाद था।
1 जनवरी 2016 की रात सभी आरोपियों ने मृतक मदन मोहन चौधरी को किशोर चौधरी की दुकान के पास बुलाकर निर्मम हत्या कर दी और शव को पहचान मिटाने के लिए कुचल दिया।
शव की शिनाख्त कपड़े और बांह के दाग से हुई
परिजनों ने शव को पहचानने में कठिनाई का सामना किया, लेकिन अंततः कपड़ों और शरीर पर मौजूद निशान से उसकी पहचान की गई। मृतक के बहनोई मोहन चौधरी की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी पर सकतपुर थाने में कांड संख्या 01/2016 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
ट्रायल में 10 गवाहों और 8 दस्तावेजी साक्ष्य पेश
मामले में अभियोजन पक्ष ने 10 गवाहों की गवाही और 8 प्रदर्श साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत किए। सत्रवाद संख्या 229/17 के तहत इस मामले की सुनवाई हुई और कोर्ट ने शुक्रवार को अंतिम फैसला सुनाया।
मृतक के परिजनों को मिला न्याय
मृतक के परिजन लगातार न्याय की उम्मीद में कोर्ट के चक्कर काट रहे थे, और आज के फैसले से उन्होंने राहत की सांस ली है। पीपी अमरेंद्र नारायण झा ने कहा कि “यह फैसला निर्दयी अपराधियों के लिए सख्त संदेश है कि न्याय मिलेगा, भले ही देर से मिले।”