

मनोज कुमार झा, अलीनगर | छठ महापर्व के बाद आए चक्रवाती तूफान और मूसलाधार बारिश ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
खेतों में पके हुए धान की फसल जलमग्न हो गई है, जिससे कटाई असंभव हो गई है। किसान अपनी मेहनत पर पानी फिरता देख निराश और असहाय महसूस कर रहे हैं।
कटाई में संकट: मजदूर और मशीन दोनों असहाय
बारिश के कारण खेतों में पानी और कीचड़ जमा होने से मजदूर खेत में उतरने को तैयार नहीं हैं। वहीं, कंबाइन मशीनें भी कीचड़ में फंस रही हैं, जिससे मशीन से कटाई रुक गई है।
अब खेतों में पका हुआ धान सड़ने लगा है, और किसानों के पास इसे बचाने का कोई उपाय नहीं बचा है।
खेती बनी घाटे का सौदा
किसानों का कहना है कि खेती पहले ही घाटे का सौदा बन चुकी है। जिनके पास जमीन है और अन्य आय के स्रोत नहीं हैं, वे मजबूरी में खेती कर रहे हैं। अब मौसम की मार और बाजार की मनमानी ने उनकी कमर तोड़ दी है।
धान की कीमतों पर व्यापारियों की मनमानी
सरकार ने धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹2369 प्रति क्विंटल तय किया है। लेकिन व्यापारी मात्र ₹1500 से ₹1600 प्रति क्विंटल पर धान खरीद रहे हैं।
किसान बताते हैं कि सरकारी पैक्स केंद्रों पर अभी तक धान खरीद शुरू नहीं हुई है, जिससे व्यापारी किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं।
रबी फसल पर भी संकट के बादल
धान की कटाई में देरी और खेतों में जलजमाव के कारण रबी फसलों की बुवाई प्रभावित हो रही है।
किसान कहते हैं कि उन्हें बीज और खाद के लिए धन की जरूरत है, लेकिन धान नहीं बिकने से वे आर्थिक तंगी में फंसे हैं।
किसानों की अपील – सरकार करे तुरंत हस्तक्षेप
स्थानीय किसानों ने मांग की है कि सरकार जल्द से जल्द पैक्स केंद्रों पर धान की खरीद शुरू करे, ताकि उन्हें उचित मूल्य मिल सके और अगली फसल की बुवाई प्रभावित न हो।
किसान कहते हैं,
“हमने साल भर मेहनत की, लेकिन अब मौसम और बाजार दोनों ने साथ छोड़ दिया।”








