दरभंगा कोर्ट रिपोर्टर: न्यायपालिका के चाबुक ने एक बार फिर अपराधियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। दरभंगा न्यायमंडल में विभिन्न मामलों में एक के बाद एक कई आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गईं, जिससे अदालत का सख्त रवैया साफ नजर आया। चोरी, दहेज प्रताड़ना से लेकर करोड़ों के गबन तक, न्याय के तराजू ने किसी को बख्शा नहीं।
गंभीर मामलों में नहीं मिली राहत
सत्र न्यायाधीश शिव गोपाल मिश्रा की अदालत ने बहादुरपुर थानाकांड संख्या 443/25 में चोरी के आरोप में गिरफ्तार रघेपुरा निवासी दिनेश राम की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी। हालांकि, अदालत ने अभियुक्त को आदेश की तिथि से छह माह बाद दोबारा जमानत अर्जी दाखिल करने की स्वतंत्रता प्रदान की है। लोक अभियोजक अमरेंद्र नारायण झा ने इसकी जानकारी दी।
इसके अतिरिक्त, श्री मिश्रा के कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना और जानलेवा हमला करने के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे 11 आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिकाओं को भी निष्पादित करते हुए सभी अभियुक्तों को संबंधित न्यायालय में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। न्यायपालिका का यह कदम समाज में बढ़ रही ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
दुष्कर्म और जानलेवा हमले के आरोपियों को झटका
प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार पाण्डेय की अदालत ने भी जानलेवा हमला के आरोप में दर्ज सदर थानाकांड संख्या 387/23 के आरोपी नवटोली निवासी लालू पासवान की जमानत याचिका को नामंजूर कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में कठोर रुख अपनाते हुए आरोपी को राहत देने से इनकार कर दिया।
एक अन्य संवेदनशील मामले में, इसी कोर्ट ने दुष्कर्म के बाद वीडियो बनाकर वायरल करने की धमकी देने के आरोपी मो. मुस्तकीम की अग्रिम जमानत अर्जी भी खारिज कर दी। यह आरोपी बहेड़ी थानाक्षेत्र के वलिगांव का निवासी है। इस फैसले से महिलाओं के खिलाफ होने वाले ऐसे अपराधों पर लगाम लगाने का संदेश गया है।
सरकारी गबन के आरोपियों की नहीं चली दाल
वहीं, अपर सत्र न्यायाधीश सप्तम उपेंद्र कुमार की अदालत ने मनीगाछी प्रखंड के माऊंवेहट पैक्स से 19 लाख 63 हजार 462 रुपये के गबन के आरोपी पैक्स अध्यक्ष साजदा खातून और प्रबंधक जियाउर रहमान की अग्रिम जमानत आवेदन को भी खारिज कर दिया। यह मामला करोड़ों के सरकारी धन के दुरुपयोग से जुड़ा है, जिस पर कोर्ट ने गंभीरता दिखाई है।








