दरभंगा की खबरों पर ट्रेंडिंग चर्चा, लेकिन सच्चाई क्या है?
आज सुबह से ही दरभंगा से जुड़ी खबरें बिहार स्तर से लेकर देश स्तर तक ट्रेंड कर रही हैं। चर्चा का केंद्र एक पुजारी से किए गए वादे को लेकर है, जिसे पूरी तरह निभाया नहीं गया—ऐसा दावा किया जा रहा है। लेकिन क्या वाकई ऐसा हुआ?
देशज टाइम्स की टीम जब मौके पर पहुंची और ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की, तो जो सच्चाई सामने आई, वह सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों से बिल्कुल अलग थी। सोशल मीडिया पर धर्म के खिलाफ फैलाई जा रही भ्रामक खबरें सरासर गलत साबित हुईं। तो आखिर हकीकत क्या है? पूरा मामला क्या है?
पढ़िए देशज टाइम्स की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट, जहां हम आपको तथ्य, सटीकता और निष्पक्ष विश्लेषण के साथ खबरें परोसते हैं—ना कि सिर्फ क्लिकबैत हेडलाइंस के सहारे सनसनी फैलाने के लिए। क्योंकि हमें है हर घर की फिक्र, TRP कि नहीं, देशज टाइम्स पढ़िए जाग जाइए …
दरभंगा | लगमा स्थित जगदीश नारायण ब्रह्मचर्य आश्रम में आयोजित लक्ष चंडी एवं अति महाविष्णु महायज्ञ में दक्षिणा को लेकर हुए विवाद पर आश्रम के महंथ बौआ जी भगवान ने सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व इस धार्मिक आयोजन को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।
Darbhanga Yagya Controversy: यज्ञ कमेटी का दावा – दक्षिणा में कोई अनियमितता नहीं
यज्ञ के आयोजकों ने स्पष्ट किया कि पूरी प्रक्रिया विधि-विधान से संपन्न हुई और दक्षिणा वितरण में कोई गड़बड़ी नहीं हुई।
- करोड़ों रुपए की दक्षिणा पंडितों को वितरित की गई।
- पूरा फुटेज सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड है।
Darbhanga Yagya Controversy: कैसे हुआ विवाद?
यज्ञ में उज्जैन से 1001 पंडितों का जत्था अजय दुबे के नेतृत्व में शामिल हुआ था। हर पंडित को ₹15,000 देने की सहमति बनी थी, लेकिन दक्षिणा वितरण के दौरान यज्ञ कमेटी ने ₹14,000 प्रति पंडित ग्रुप लीडर अजय दुबे को सौंपे।
इसके बाद अजय दुबे ने—
- हर पंडित से ₹2000 की कटौती कर ली।
- जब पंडितों को ₹2000 कम मिले, तो वे आक्रोशित हो उठे।
- मामला बढ़ता देख पंडितों ने अजय दुबे को घेर लिया और मारपीट की नौबत आ गई।
यज्ञ कमेटी ने दिए 2000 रुपये अतिरिक्त
स्थिति को संभालने के लिए—
- यज्ञ कमेटी और प्रशासनिक अधिकारियों के हस्तक्षेप से सभी पंडितों को ₹2000 का अतिरिक्त भुगतान किया गया।
- इसके बाद ही पंडित शांत हुए।
ग्रुप लीडर अजय दुबे फरार
इस पूरे हंगामे के बीच अजय दुबे और उनके दो सहयोगी मौका देखकर मंदिर परिसर से भाग गए। फिलहाल यज्ञ कमेटी और प्रशासन इस मामले की जांच कर रहे हैं।
यह स्पष्ट हो गया कि यज्ञ कमेटी की ओर से राशि सही ढंग से वितरित की गई थी, लेकिन ग्रुप लीडर ने गड़बड़ी की। प्रशासन इस मामले पर नजर बनाए हुए है और यज्ञ कमेटी ने मीडिया से गलत अफवाहें फैलाने से बचने की अपील की है।
पढ़िए फैक्ट चेक, क्या हुआ…
दरभंगा जिले के लगमा स्थित जगदीश नारायण ब्रह्मचर्य आश्रम में आयोजित लक्ष चंडी एवं अति महाविष्णु महायज्ञ के समापन के बाद पंडितों ने दक्षिणा नहीं मिलने पर जमकर हंगामा किया।
पंडितों का गुस्सा, सड़क जाम
बीती रात पंडितों ने दरभंगा-मनीगाछी मुख्य सड़क जाम कर दिया और आश्रम के महंथ के निवास स्थान का घेराव कर नारेबाजी की। यज्ञ में शामिल 2100 पंडितों को दक्षिणा देने का वादा किया गया था, लेकिन समापन के बाद भी उन्हें उनका मानदेय नहीं मिला, जिससे नाराज होकर उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया।
25 करोड़ रुपये खर्च का दावा, फिर भी नहीं मिली दक्षिणा?
- बिहार के सबसे बड़े यज्ञ होने का दावा किया गया था।
- 25 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया गया था।
- 11 मंजिला हवन कुण्ड बनाया गया था।
- देशभर से इंटरव्यू के माध्यम से 2100 पंडितों का चयन किया गया था।
- यज्ञ 1 मार्च से 16 मार्च तक चला और सभी पंडितों ने इसमें अपनी सहभागिता दी।
पंडितों के साथ हुआ समझौता, फिर भी नहीं मिला पैसा
आयोजन समिति और पंडितों के बीच एक लिखित एग्रीमेंट हुआ था, जिसमें न्यूनतम 15,000 रुपये दक्षिणा देने की बात कही गई थी। इसके बावजूद यज्ञ समापन के बाद पंडितों को भुगतान नहीं किया गया।
पंडितों का आरोप – बिना पैसा दिए भाग गए आयोजक
चित्रकूट (यूपी) से आए पंडित अमित मिश्रा ने बेनीपुर के अनुमंडल पदाधिकारी को फोन कर बताया—
“आश्रम के महंत और आचार्य बिना पैसा दिए गायब हो गए हैं। हम धर्म का काम करने आए थे, लेकिन हमारा मानदेय नहीं दिया जा रहा है।”
महंथ बौआ सरकार का दावा – सभी को भुगतान कर दिया गया
जब इस मामले में आश्रम के महंथ बौआ सरकार से बात की गई, तो उन्होंने कहा—
“यज्ञ में आए सभी पंडितों को दक्षिणा दे दी गई है। हम भी वीडियो देख रहे हैं और जिला प्रशासन से बातचीत के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंच पाएंगे।”
प्रशासन करेगा हस्तक्षेप?
जिला प्रशासन से संपर्क करने के बाद ही इस विवाद का समाधान निकलने की उम्मीद है। फिलहाल पंडित अपनी दक्षिणा के लिए संघर्षरत हैं, जबकि आयोजक इसे गलतफहमी बता रहे हैं।