सिंहवाड़ा, देशज टाइम्स। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिंहवाड़ा के डेटा आपरेटर पर लगे फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के आरोपों की जांच करने शुक्रवार को चार सदस्यीय जांच टीम सीएचसी पहुंची।
जानकारी के अनुसार, दोपहर ढाई बजे सीएचसी पहुंची जांच टीम ने लगभग दो घंटे तक डेटा आपरेटर राजीव कुमार पर लगे आरोपों की गहनता पूर्वक जांच की। एमओआईसी डॉ. हिना खुर्शीद के चेंबर में अधिकारियों ने आरोपी ऑपरेटर एवं परिवादी हयातपुर के अनवार आलम को आमने सामने कर सभी बिंदुओं पर पूछताछ की।
परिवादी ने आरोप लगाया था कि उनके चार बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र हस्तलेखन द्वारा पूर्व में बना था। उसकी डिजिटल कॉपी बनाने के लिए सीएचसी के डेटा आपरेटर को पुरानी कॉपी दिया था।
टीम में जिला सांख्यकी कार्यालय के अवर सांख्यकी पदाधिकारी वीरेंद्र प्रसाद देव, प्रखंड सांख्यकी पदाधिकारी सदर पवन कुमार सिंह, लिपिक सूर्यनारायण सहनी, डेटा इंट्री ऑपरेटर गणेश कुमार के अलावा सिंहवाड़ा के प्रखंड सांख्यकी पदाधिकारी विनोद कुमार शामिल थे।
डेटा ऑपरेटर राजीव कुमार ने इसके लिए एक हजार रुपये लेकर डिजिटल कॉपी बनाकर दी थी जिसपर नगर निगम का मुहर एवं हस्ताक्षर था।
उक्त जन्म प्रमाण पत्र को लेकर बच्चों का आधार कार्ड बनाने पंजीयन केंद्र पर गए तो वहां बताया गया कि तीन बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र फर्जी है। जिसके बाद अनवार आलम ने मामले की शिकायत एमओआईसी से की थी।
जानकारी के अनुसार, लालपुर निवासी विपुल कुमार मिश्र ने भी फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले की शिकायत जिला पदाधिकारी से की थी। जांच के बाद बाहर निकले पदाधिकारियों ने बताया कि डेटा ऑपरेटर पर लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया सत्य प्रतीत हो रहा है।
परिवादी के व्हाट्सएप से डेटा ऑपरेटर राजीव कुमार के व्हाट्सएप पर जन्म प्रमाण पत्र बनाने संबंधित चैट भी हुई है। सीएचसी से पूर्व में बनाए गए जन्म प्रमाण पत्र का मिलान भी हो गया है। जांच प्रतिवेदन जिला पदाधिकारी को समर्पित की जाएगी।
वहीं, एमओआईसी डॉ. हिना खुर्शीद बताया कि स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय अपर निदेशक के निर्देश के आलोक में उन्होंने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में कार्यालय में उपलब्ध संचिका व पत्र के आलोक जांच रिपोर्ट भेज दी है।
वहीं, सीएचसी के प्रधान लिपिक रामप्रसाद ने बताया कि परिवादी का आरोप जांच में सही पाया गया है। उनके द्वारा प्रस्तुत तीन जन्म प्रमाण पत्र का मूल्यांकन किया गया जिसमें तीनो पूर्व में अस्पताल से जारी हुआ था। नई डिजिटल कॉपी फर्जी पाई गई जो नगर निगम का मुहर लगाकर बनाया गया है। डेटा ऑपरेटर मामले में दोषी पाए गए हैं।