
दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। नगर निगम में अनियमितता के आरोप में सशक्त स्थाई समिति के तीन सदस्यों ने प्रमंडलीय आयुक्त को स्थाई समिति सदस्य पद से इस्तीफा सौंप दिया।
शुक्रवार को दोपहर सशक्त स्थाई समिति सदस्य उपेंद्र कुमार (वार्ड नंबर 12) सुदृष्ट महतो (वार्ड नंबर 9) एवं शाहिदा तरन्नुम (वार्ड नंबर 25) ने महापौर मुन्नी देवी पर वित्तीय अनियमितता एवं मनमाना प्रोसीडिंग लिखने संबंधी गंभीर आरोप लगाते हुए सशक्त स्थाई समिति सदस्य पद से इस्तीफा दिया।
प्रमंडलीय आयुक्त को दिए ज्ञापन में इन लोगों ने कहा है कि उन्हें जब जानकारी मिली कि मनमाने ढंग से प्रोसिडिंग लिखकर वित्तीय अनियमितता हो रही है, राशि की निकासी हो रही है तो उन्होंने यह निर्णय लिया। इस संदर्भ में पूरे प्रकरण की जांच की भी मांग इन सदस्यों ने प्रमंडलीय आयुक्त से की है।
इसकी प्रति जिलाधिकारी दरभंगा, नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव एवं नगर आयुक्त को भी देते हुए इन तीनों पार्षदों ने सशक्त स्थाई समिति पद की सदस्यता से इस्तीफे की प्रति नगर आयुक्त और महापौर को भी सौंप (Financial Irregularities and Arbitrary Proceedings) दिया है।
मालूम रहे कि 12 जनवरी 2022 को हुए चुनाव में मुन्नी देवी महापौर बनी थी और उसके एक माह बाद 7 सदस्य स्थाई समिति का गठन किया गया था, जिसमें यह तीनों सदस्य बनाए गए थे। इनलोगों ने दो सशक्त स्थाई समिति की बैठक में भाग लिया जो 7 फरवरी एवं 15 मार्च को हुई। एक सामान्य बजट की भी बैठक हुई जिसमें भी सदस्यगण शामिल थे।
लेकिन, इन लोगों का कहना है कि बैठक में निर्णय हुआ इसकी वीडियोग्राफी भी हुई। लेकिन जब प्रोसिडिंग की प्रति काफी दिनों तक नहीं मिली तो अंततः इन सदस्यों में एक श्री उपेंद्र कुमार ने विधिवत लिखित रूप से दिनांक 11 मई को प्रोसीडिंग की प्रति की मांग की और जब 12 मई को प्रोसीडिंग की कॉपी उन्हें मिली तो यह लोग देखकर दंग रह गए कि उस में घोर अनियमितता थी।
मनमाने ढंग से प्रोसिडिंग लिखी हुई थी और कई वित्तीय निकासी के निर्णय भी लिए गए थे, जिसकी बैठक में चर्चा तक नही हुई थी। यह सब देख इन सदस्यों ने तुरंत इस्तीफा देने का निर्णय लिया और प्रमंडलीय आयुक्त के यहां आवेदन देकर इस्तीफे की प्रति सौंप दी।
जानकारी के अनुसार, दरभंगा नगर निगम में पूर्व में भी घोटाले, वित्तीय अनियमितता के आरोप लगते रहे हैं। डेढ़ दर्जन पार्षदों ने 2 वर्ष पहले शौचालय घोटाला संबंधित जांच की मांग तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त से की थी, जिसकी कई पदाधिकारियों से जांच करवाई गई और आरोप सही पाया गया।
इसके बाद नगर विकास विभाग ने तत्कालीन महापौर बैजंती देवी खेड़िया उपमहापौर बदरूज्जमां खान सहित तत्कालीन सात सदस्यों का पद समाप्त कर दिया था। सशक्त स्थाई समिति के 7 सदस्यों को धारा 17/4 के तहत पार्षद पद से भी हटा दिया तथा तत्कालीन महापौर और उपमहापौर को शेष सत्र के लिए इन पदों से मुक्त कर दिया गया था। इसके बाद यह लोग पटना उच्च न्यायालय भी गए। लेकिन पटना उच्च न्यायालय ने भी सुनवाई के बाद इन लोगों की अर्जी खारिज कर दी थी।
वर्तमान में स्थिति यह है कि दरभंगा नगर निगम के इन दोनों तत्कालीन महापौर और उपमहापौर का पद भी चला गया है। वह पार्षद पद पर हैं लेकिन उन्हें भी 17/4 के तहत पार्षद पद से हटाए जाने का नोटिस दिया गया है कि उनकी पार्षद की सदस्यता भी क्यों नहीं समाप्त की जाए। इसका जवाब इनलोगों ने विभाग को दिया है, जिस पर निर्णय विचाराधीन है।
जिन लोगों पर घोटाले का आरोप प्रमाणित हुआ है उनमें स्थायी समिति के सात सदस्य ऐसी परिस्थिति में धारा 17/4 के तहत आने वाला चुनाव 6 वर्षों तक नहीं लड़ सकते हैं।
इस संदर्भ में सूत्र के अनुसार माने तो यह लोग सुप्रीम कोर्ट गए हुए हैं जहां से उन्हें उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय ही कुछ आदेश दे ताकि आगे इनलोगों का चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो सके। अब जबकि 9 जून को महापौर सहित इन पार्षदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है ऐसी परिस्थिति में इन तीन सशक्त स्थाई समिति सदस्यों का इस्तीफा इशारा करता है कि दरभंगा नगर निगम में फिर से वित्तीय अनियमितता हो रही है और गहराई से जांच की जाए तो कई और घोटाला निकल जाए तो आश्चर्य नही होगा।
इन तीनों के इस्तीफे के बाद शौचालय घोटाला उजागर कर कारवाई कराने में अहम भूमिका निभाने वाली वार्ड 21 की पार्षद मधुबाला सिन्हा ने कहा कि इन सदस्यों ने इस्तीफा तो दिया, लेकिन तीन माह में जब दरभंगा नगर निगम ने कर्मी का वेतन छोड़ फरवरी माह से अब तक दस करोड़ रु की राशि इसी स्थायी समिति की बैठक के निर्णय के आलोक में निकासी कर ली है, इसमे एक बहुत बड़ा हिस्सा फर्जी ढंग से लूटा गया है तथा कई अनियमितता भी की गई है।
इसे भी वे जल्द प्रमाणित कर दोषियों पर कारवाई करवाएगी। इसका पुख्ता प्रमाण इकट्ठा किया जा रहा है, जिसकी बानगी इन सदस्यों का इस्तीफा है। बहरहाल अगर वाकई ये लोग इस लूट से अंजान हैं तो इस्तीफा स्वागत योग्य है। मधुबाला सिन्हा का कहना है कि मेयर मुन्नी देवी की अध्यक्षता में मात्र एक बैठक हुई थी, जबकि चार माह में चार बैठक होनी चाहिए थी।
उसी बैठक में उन्होंने गिफ्ट के रूप में दिया ब्रीफ केस लौटा चेतावनी दे दी थी की जनता के पैसे का दुरूपयोग नही होने देगी। सभी माननीय पार्षद चुनावी वर्ष में जल संकट, जल जमाव और लचर सफाई व्यवस्था से परेशान हैं और महापौर महोदया अपनी पीठ थपथपा दरभंगा को स्मार्ट सिटी बता रहे।
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