सतीश झा। बेनीपुर। जहां एक (Forest department failed in Darbhanga, monkeys playing, farmers helpless) ओर देश के विभिन्न भागों में आदमखोर जंगली जानवरों से आतंक का माहौल कायम है|
वही बेनीपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली जानवरों ने लोगों को जीना मुहाल कर दिया है। पूर्व के समय में इन जंगली जानवरों का आतंक मात्र खेतों तक सीमित था जहां फसल को यह तहस-नहस कर किसानों को सांशत में डाल दिया था।
वहीं, अब ये जंगली जानवरों का आतंक ग्रामीण क्षेत्र के घर दरवाजे एवं विद्यालय तक में भी फैलने लगा है। ज्ञात हो कि बेनीपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले एक दशक से नीलगाय, सूअर एवं बंदरों ने फसलों को तहस-नहस कर बर्बाद कर रहा था। इससे किसानों ने त्रस्त होकर आलू, शकरकंद, मक्का, धनिया जैसे फसलों का खेती करना ही लगभग बंद कर दिया था।
सरकारी स्तर पर वन विभाग से लेकर प्रशासनिक पदाधिकारी तक किसान गुहार लगाते रहे थक हार कर नकदी फसल से उसे मुंह मोड़ना पड़ा। इस बीच फसल की बर्बादी के साथ-साथ इन जंगली जानवरों का आतंक घरों एवं विद्यालयों तक भी पहुंचने लगा है। इसमें पिछले सप्ताह घरेलू जानवर नेवला ने पोहदी के आधे दर्जन से अधिक लोगों को काटकर जख्मी कर दिया था।
तो, गत शनिवार को प्रखंड क्षेत्र के साजनपुरा गांव में दो बंदरों ने दरवाजे के अहाते में घुसकर आधे दर्जन लोगों को काटकर जख्मी कर दिया। जिसे ग्रामीणों के सहयोग से पकड़ कर वन विभाग के हवाले किया गया। इस बीच सोमवार को मध्य विद्यालय बाथो के परिसर में बंदरों की झुंड ने जमकर उत्पाद बचाया। जिसमें पांच बच्चे सहित एक शिक्षिका को भी काट कर जख्मी कर दिया। जिन्हें विवश होकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर एंटी रेबीज का टीका लगवाना पड़ा।
दूसरी ओर, इन बंदरों का आतंक प्रखंड क्षेत्र के पोहद्दी ,महीनाम, लक्ष्मीपुर , धेरुख, सझुआर, बलनी, माधोपुर सहित अन्य गांव में बंदरों का समूह फसलों के साथ-साथ फल फूल एवं घरेलू खाद्य सामग्री पर भी चोट करते हुए ले भागते हैं। और, उन्हें डांटना और खदेरने पर आम लोगों पर भी हमला कर बैठते हैं।
इस संबंध में पूछने पर वन विभाग के वन क्षेत्र पदाधिकारी बेनीपुर ने कहा कि विभाग की ओर से पर्याप्त साधन एवं संसाधन नहीं होने के कारण बंदर सहित अन्य जंगली जानवरों पर नियंत्रण संभव नहीं हो पा रहा है।