दरभंगा, देशज टाइम्स अपराध ब्यूरो। दिल्ली पुलिस क्या इतनी भ्रष्ट है कि बाहर से गए लोगों को उसकी सुरक्षा देने की बजाय उसे प्रताड़ित कर रही है। करौलबाग थाने की करतूत को पीड़ित व्यक्ति जब उस क्षेत्र के डीसीपी यहां तक कि पुलिस कमिश्नर तक आवेदन दिया लेकिन किसी वरीय पदाधिकारियों ने संज्ञान तक नहीं लिया।
हालात यह, पीड़ित व्यक्ति ने सबूत के साथ सभी वरीय पुलिस अधिकारियों को आवेदन दिया। क्या यह समझा जाए कि बाहरी लोगों को शिकार करने के लिए पुलिस बैठी है। क्या यह समझा जाए कि अवैध उगाही के लिए पूरा सिस्टम एक है। अगर ऐसा नहीं है तो दरभंगा से गए दो युवकों को न्याय क्यों नहीं मिला।
क्योंकि, पुलिस के कारनामों ने आम लोगों को इस बात को लेकर सकते में डाल दिया है। अवैध उगाही की मंशा लेकर बैठी दिल्ली पुलिस के कारनामों को देखेंगे तो आप भी हैरान हो जाएंगे। यही नहीं, पुलिसिया सिस्टम से विश्वास तो बिल्कुल ही खत्म हो जाएगा।
मामला करौलबाग थाने से जुड़ा है। ऐसा लगता है कि शातिर और गलत कारनामे को अंजाम देने वाले अपराधी तत्वों से इनका पुख्ता गठजोड़ है। यहां बता दें कि बिहार के दरभंगा जिला अंतर्गत लहेरियासराय से दो युवक दिल्ली गए हुए थे।
कारण यह था कि लहेरियासराय के बाकरगंज मुहल्ला निवासी बैद्यनाथ महथा के पुत्र मिथिलेश ने करोल बाग स्थित देशबंधु गुप्ता रोड में अशोका इंटरनेशनल के बेसमेंट के ऑफिस नंबर 32में ग्लोबल विजनेस नामक कंपनी के मालिक अमित शर्मा को एक लाख रुपये पान मसाला के लिए अग्रिम दो अप्रैल को ही दिया था, लेकिन कई माह बीत जाने के बाद बार बार फोन करने के बाद भी अमित शर्मा ने पान मसाला नहीं भेजा।
करीब चार महीने बीतने के बाद मिथिलेश अपने एक साथी मनोज भास्कर के साथ दिल्ली पहुंचा !वहीं एक होटल में कमरा लिया !फिर दोनों अमित शर्मा के पास अपने दिये पैसों को मांगने गया। अमित शर्मा ने दोनों से कहा कि में एक दो दिन में पैसे दे दूंगा। एक दो दिन बीत गया और अमित ने पैसे नहीं दिया।
मनोज पैसों को लेकर जिद करने लगा। फिर क्या था। मनोज के मोबाइल पर एक महिला का फोन आया। पूछा कौन हो। मनोज ने नाम बताया। फिर क्या था उक्त महिला ने गंदी गंदी गाली दी। मनोज उस वक्त मैट्रो ट्रेन में था। बाजार से कुछ देर में होटल लौटा तब तक करौलबाग थाने से फोन आया।
तुम मनोज हो थाने आ जाओ। फिर क्या था पुलिस का खेल शुरू हुआ। पुलिस ने कहा अब तुम्हें डेढ़ लाख रुपये देना पड़ेगा फिर तुम्हें राहत मिलेगी। इस खेल में महिला सिपाही प्रीति एवं विष्णु नामक एसआइ का जबरदस्त रोल दिखाई पड़ा। मिथिलेश और मनोज का थाने में बैग, मोबाइल, लेपटाप आदि जब्त कर लिया और पुलिस टॉर्चर करने लगी।
ऐसा लगता है कि पुलिस गुंडा है या गुंडा पुलिस है। इन सारे मामलों को लेकर दरियागंज के डीसीपी को लिखित आवेदन मिथिलेश ने दिया है। यही नहीं, उसके बाद पुलिस कमिश्नर को आवेदन दिया लेकिन कारवाई नहीं हुई। इस मामले में जांच कर दोषी पुलिस कर्मी को क्या दंडित करेंगे।
इस पूरे प्रकरण में एक सवाल उठता है कि मिथिलेश से लिए पैसे अमित को देना था। इसमें वह महिला कहां से आ गई जिसने उल्टे पीड़ित पक्ष को गंदी गंदी गाली दी और उल्टे पुलिस को फोन कर निर्दोष लोंगों को फंसाने की साजिश रच दी और पुलिस वाले भी उस महिला के इशारे पर नाचने लगी।
आखिरकार वह महिला कौन है। बताया जाता है कि उक्त महिला का पुलिस के एक वरीय अधिकारी से तालमेल है !बताया तो यहां तक जाता है कि उक्त महिला निर्दोष लोंगों को फंसाती है और पुलिस द्वारा पैसे उगाही कर बंदरबांट करती है। बाहर जिला से गये लोग इसका शिकार हो जाते है। उक्त महिला के मोबाईल और थाना के सभी कर्मियों के मोबाइल का डिटेल निकाला जाय तो पूरे मामले से पर्दा उठ जाएगा। यह एक गंभीर मामला है जिसे दिल्ली पुलिस को समय रहते निर्दोष को न्याय दिलाना है नहीं तो दिल्ली पुलिस से लोंगों का विश्वास उठ जाएगा।