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1 नवम्बर, 2024
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ग्राउंड रिपोर्ट @Deshaj Times — तूफानी हवा और बारिश ने किया ‘ बर्बाद ‘ — Darbhanga के जाले, अलीनगर और कमतौल में हजारों एकड़ धान की फसल जमीन पर पटकी, जानिए किसान अब क्या करें?

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पढ़िए देशज टाइम्स की ग्राउंड रिपोर्ट अलीनगर से मनोज कुमार और कमतौल से आंचल कुमारी के साथ…जिले में लगातार बारिश और तूफानी हवाओं ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। जाले, अलीनगर और कमतौल में धान की फसलें गिरकर सड़ने की कगार पर हैं, वहीं तिलहन-दलहन की बुआई भी प्रभावित हो गई है।

किसानों का कहना है कि इस बार की बारिश ने उनकी पूरी मेहनत मिट्टी में मिला दी। खेतों में जलजमाव से कम्बाइन हार्वेस्टर और रीपर चलाना नामुमकिन हो गया है। किसानों ने सरकार से आपदा राहत और मुआवजा की मांग की है, ताकि अगली फसल की तैयारी संभव हो सके।

आप पढ़ रहें है देशज टाइम्स की ग्राउंड रिपोर्ट — अब ख़बर विस्तार से  जिले में पिछले कुछ दिनों से जारी लगातार बारिश और तूफानी हवाओं ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है।
जाले, अलीनगर और कमतौल में खेतों में पके हुए धान की फसल गिरकर सड़ने की स्थिति में पहुंच गई है, वहीं तिलहन-दलहन की बुआई भी प्रभावित हो रही है। किसानों के अनुसार, मौसम की इस मार से हजारों एकड़ में लगी फसलों को भारी नुकसान हुआ है।

जाले: अगात धान के खेतों में जल जमाव

जाले प्रखंड के रतनपुर, जोगियारा, सैदनगर, और आसपास के इलाकों में लगातार हो रही बारिश और शीतल हवाओं ने अगात प्रभेद के धानों को खेत में ही गिरा दिया है।

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किसान दशरथ सहनी, राजेश्वर सहनी, राज सिंघानिया, गोपी कृष्ण ठाकुर, कन्हैया झा आदि ने बताया कि छठ पर्व के बाद धान कटाई की तैयारी चल रही थी, लेकिन बारिश और ठंडी बयार ने पौधों को गिरा दिया

  • खेतों में जल जमाव होने से कम्बाइन हार्वेस्टर और रीपर चलना असंभव हो गया है।

  • किसानों का कहना है कि गीला धान पौधा भारी और अंकुरित हो रहा है, जिससे स्वाद और बाजार भाव दोनों प्रभावित होंगे

  • खेत खाली न होने के कारण तिलहन और दलहन की बुआई भी अटकी हुई है, जिससे आगे की फसल भी प्रभावित होगी।

किसानों ने बताया कि वे कम अवधि वाले प्रभेद (Varieties) जैसे राजेन्द्र स्वेता, कतरनी, हाई-ब्रीड धान, और लालसर लगाते हैं, ताकि साल में तीन फसल ले सकें, लेकिन इस बार मौसम ने सारी योजना बिगाड़ दी।

अलीनगर: चक्रवाती तूफान बना मुसीबत

अलीनगर प्रखंड में चक्रवर्ती तूफान के कारण हुई मूसलाधार बारिश ने आम जनजीवन के साथ किसानों को भी अस्त-व्यस्त कर दिया

गुरुवार रात से शुक्रवार तक हुई भारी बारिश और तेज हवाओं से धान की फसल पूरी तरह जमीन पर गिर गई

  • किसान मशीनों के भरोसे धान की कटाई करते हैं, लेकिन पानी और गीली मिट्टी के कारण मशीनें नहीं चल पा रही हैं

  • जिन किसानों ने पहले ही सरसों, राई, मसूर, मटर जैसी दलहनी फसलों की बुआई कर ली थी, वे भी अब जलमग्न हो चुकी हैं।

  • किसानों को दुबारा बुआई करनी पड़ेगी, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

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लहटा पंचायत के समिति सदस्य संतोष कुमार ठाकुर ने कहा कि यह असामयिक बारिश किसानों को पूरी तरह बर्बाद कर चुकी है। उन्होंने सरकार से आर्थिक सहायता की मांग की, क्योंकि अब कई किसान खेती से मुंह मोड़ने लगे हैं

कमतौल: मोंथा तूफान ने पूरी फसल पटकी

कमतौल में मोंथा तूफान ने किसानों की कमर तोड़ दी है। दो दिनों से लगातार हो रही बारिश से खेतों में पानी भर गया है, जिससे कटाई के लिए तैयार धान सड़ने की कगार पर है

  • अहियारी, मिर्जापुर, बेलबाड़ा, चनुआटोल, कुम्हरौली के किसानों ने बताया कि इस बार फसल बहुत अच्छी थी, लेकिन तेज हवाओं से सारे पौधे गिर गए

  • फेकन दास और नरेंद्र सिंह जैसे किसानों ने बताया कि खेतों में अब इतना पानी है कि मशीनें चल नहीं सकतीं, और मजदूर भी काम करने को तैयार नहीं हैं।

  • इससे गेहूं की बुआई में भी देरी तय है, जो आने वाली रबी फसलों की उपज पर असर डालेगी

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किसानों के अनुसार, बीज, खाद और पटवन पर भारी खर्च के बावजूद अब न तो कटनी हो रही है और न बचने की उम्मीद। मौसम ने एक झटके में पूरे सीजन की मेहनत मिट्टी में मिला दी

सरकारी सहायता की मांग तेज

तीनों जगह के किसानों ने राज्य सरकार से आपदा राहत और मुआवजा देने की मांग की है।

किसानों का कहना है

यदि मौसम जल्द साफ नहीं हुआ, तो फसल के साथ अगली बुआई भी संकट में पड़ जाएगी

विशेषज्ञों का कहना है

हथिया नक्षत्र में हुई भारी बारिश से जलस्तर तो सुधरा है, लेकिन खेतों में निकासी न होने से फसलें डूब गई हैं
अब अगर प्रशासन और कृषि विभाग तुरंत राहत योजना नहीं चलाता, तो आर्थिक संकट और गहराएगा


दरभंगा जिले के तीनों प्रखंडों में मौसम की मार से फसलें तबाह हैं। धान, तिलहन और दलहन—तीनों पर संकट मंडरा रहा है।

किसानों की एक स्वर में मांग है कि सरकार आपदा राहत कोष से मुआवजा और बीमा क्लेम जल्द जारी करे, ताकि वे अगली फसल की तैयारी कर सकें और खेती से उनका भरोसा बना रहे।

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