आंचल कुमारी के साथ जाले ब्यूरो की रिपोर्ट। जाले कृषि विज्ञान केंद्र में सोमवार को जलवायु अनुकूल खेती जागरुकता सह संवाद कार्यक्रम का उद्घाटन देर शाम स्वास्थ्य व कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने किया।
मौके पर बतौर विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि के कुलपति डॉ. पीएस पांडेय, राज्यसभा सांसद धर्मशीला गुप्ता, नगर विधायक संजय सरावगी, विधायक जीवेश कुमार, केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर सहित सभी वैज्ञानिक, कर्मी और सैंकड़ों किसान उपस्थित थे।
इस अवसर पर किसानों को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन होने से जब हमलोग परेशान हैं तो स्वाभाविक है कि फसल भी परेशान होता होगा। जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों की उपज प्रभावित हुआ है। इसलिए खेती में भी बदलाब लाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पहले तालाबों में मखाना होता था, अब खेतों में हो रहा है. उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा के उपाय किए गए हैं। दलहन उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।
वातानुकूलित प्रशिक्षण भवन बनेगा, इसकी लागत करीब डेढ़ करोड़ होगी।
मखाना अनुसंधान केंद्र का अपना निदेशक होगा। केंद्र सरकार के सहयोग से दिसंबर से पहले एपीडा की स्थापना कृषि भवन में हो जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर हर दिन किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सोचती रहती है। मार्केटिंग की व्यवस्था को बेहतर करने की कोशिश जारी है। उन्होंने विधायक की मांग पर विचार करते हुए कहा कि किसानों के लिए वातानुकूलित प्रशिक्षण भवन बनेगा, इसकी लागत करीब डेढ़ करोड़ होगी।