Land Encroachment: धरती का सीना चीरकर, नदियों को कैद कर, आज इंसान अपने ही घरों को निगलने पर आमादा है। जब सरकारी ज़मीन पर ही अवैध कब्ज़े का ग्रहण लगने लगे, तो आम लोगों की मुश्किलें भी सातवें आसमान पर पहुँच जाती हैं।
**जाले: सरकारी पोखर पर Land Encroachment का ग्रहण, छठ घाट विस्तार में रोड़ा**
जाले। मुरैठा पंचायत के छोटी महुली गाँव में गुजरा पोखर और उसके भिंडा (किनारे की सरकारी भूमि) पर हुए अवैध Land Encroachment से ग्रामीण खासा परेशान हैं। इस मामले को लेकर गाँव के दर्जनों लोगों ने अंचलाधिकारी (सीओ) से गुहार लगाई है कि सरकारी भूमि को जल्द से जल्द अतिक्रमण मुक्त कराया जाए। ग्रामीणों ने एक सामूहिक आवेदन में स्पष्ट किया है कि दूसरे समुदाय के लोगों द्वारा जबरन सरकारी भूमि पर कब्ज़ा कर लिया गया है, जिससे आमजनों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
यह समस्या सिर्फ ज़मीन के अतिक्रमण तक सीमित नहीं है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी आहत कर रही है। दरअसल, इसी स्थान पर प्रशासन द्वारा छठ पूजा के लिए एक घाट का निर्माण कराया गया है। छठ व्रतियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए छठ घाट के विस्तार की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है, लेकिन अतिक्रमणकारियों द्वारा इसमें लगातार बाधा डाली जा रही है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। ग्रामीणों का कहना है कि छठ पूजा के दौरान भी दूसरे समुदाय के अतिक्रमणकारी जानबूझकर व्यवधान उत्पन्न करते हैं, जिसके कारण कभी भी सांप्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
**छोटी महुली में Land Encroachment: क्या है पूरा मामला?**
ग्रामीणों के अनुसार, अशोक साह, राम विनोद साह, अमर कुमार शर्मा, राम नारायण पंडित, श्याम पंडित, रंजीत कुमार शर्मा, पवन साह और राम भरोस बैठा सहित कई अन्य लोगों ने सीओ को दिए आवेदन में अपनी पीड़ा बताई है। उनका कहना है कि यह सरकारी भूमि है, जिस पर कई बार प्रशासन द्वारा अतिक्रमण मुक्त करने की कार्रवाई की जा चुकी है। इसके बावजूद कुछ लोग बार-बार उस पर कब्ज़ा कर लेते हैं। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
**प्रशासन की चुनौती और छठ पूजा का महत्व**
छोटी महुली के गुजरा पोखर का यह भिंडा, जो सरकारी ज़मीन है, अब एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है। एक ओर जहाँ ग्रामीण और छठ व्रती अपने धार्मिक अनुष्ठानों को शांतिपूर्ण ढंग से पूरा करना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों द्वारा किया गया अवैध कब्ज़ा इसमें बाधक बन रहा है। प्रशासन के सामने यह चुनौती है कि वह न सिर्फ सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों, जिससे सामाजिक सौहार्द बना रहे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस मामले पर स्थानीय प्रशासन को तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि ग्रामीणों को राहत मिल सके।






