दरभंगा, देशज टाइम्स अपराध ब्यूरो। दरभंगा विश्वविद्यालय की महिला सिपाही…कहीं कर ना ले खुदकुशी…उसकी सुन कोई नहीं रहा…कुछ भी सुनाने से भी रोक रहा…आखिर क्यों?…कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए…हे पुलिस के वरीय पदाधिकारी महोदय…
यह खबर पूरे विश्व में पढ़ा जाने वाला देशज टाइम्स डॉट कॉम(DeshajTimes.Com) में छपते ही तत्काल दरभंगा के वरीय पुलिस अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को समझा और एक्शन लिया। देशज टाइम्स ना पक्ष है ना विपक्ष है यह पूर्णत: तटस्थ है। बिना लाग-लपेट के बिना किसी दुराग्रह के हम खबर लिखते हैं, आवाम को सतर्क करते हैं, प्रशासन और सरकार तक सच्चाई लेकर पहुंचते हैं…पढ़िए इस खबर के देशज टाइम्स (DeshajTimes.Com) में प्रकाशित होते ही क्या हुआ…?
देशज टाइम्स में छपी खबर के आलोक में डीएसपी अमित कुमार ने संज्ञान लिया है। उन्होंने देशज टाइम्स (DeshajTimes.Com) में खबर छपने के बाद पीड़ित महिला सिपाही और विवि थाना के थानाध्यक्ष को तुरंत अपने कार्यालय बुलाया। और, बारी-बारी से पूछताछ की।
डीएसपी अमित कुमार ने पूछने पर कहा कि पूछताछ के दौरान महिला सिपाही ने कहा कि उसके साथ कोई भी अभद्र व्यवहार नहीं हुआ है। हां, होटल में उसके नाम के गलत उपयोग और लिखने की बात उसने कही है। उन्होंने कहा कि होटल में लिखाए गये नाम को लेकर उसकी शिकायत जरूर थी।
इस बात को लेकर भी डीएसपी ने जांच कराई। लेकिन, अब कहा जा रहा है कि उस होटल में थाना लेखक का वीडियो सामने आया है, लेकिन उसके साथ लड़की की कोई तस्वीर सामने में नहीं आई है।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि थाना लेखक आखिर किसके साथ होटल गया था? वह लड़की कौन है, जो थाना लेखक के साथ थी। उक्त लड़की की फोटो भी कुछ पुलिस कर्मी के पास है, जो डीएसपी को दिखाने से परहेज कर रहे हैं।
यहां फिर एक सवाल है कि रिम्मी के बदले क्यों थाना लेखक ने उक्त महिला सिपाही का नाम लिखाया, इसके पीछे की मंशा क्या थी, क्या मजबूरी थी या क्या आफत आने वाली थी जिसको पहले ही भांपकर उसने ऐसा कदम उठाया (आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स (DeshajTimes.Com जो है खबरों का गरम भांप)।
कहीं, ऐसा तो नहीं कि पुलिस के बड़े अधिकारी पुलिस की बदनामी को लेकर मामले को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। यही नहीं, कहीं, उक्त महिला सिपाही पर भी आलाधिकारी दबाव तो नहीं बना दिये? ताकि मामला आगे नहीं बढ़ पाएं। उक्त महिला सिपाही ने इस संवाददाता को इस बात की जानकारी दी थी। जिसका प्रमाण भी इस संवाददाता के पास है।
उक्त, महिला सिपाही रोते-रोते व्याकुल थी। उसे डर था कि उसकी बदनामी हो जाएगी। यह मामला, दरभंगा जिले के विश्वविद्यालय थाना से जुड़ा है। जहां, एक महिला सिपाही लगातार रो रही थी।
वह अपने साथ बीती घटना को अपने परिजनों को बताना चाह रही थी। लेकिन, थाना की पुलिस उसे ऐसा करने से मना कर दिया और वह मान भी गईं। वह लड़की अपने साथ बीती घटना की शिकायत पुलिस के आलाधिकारी से भी करना चाह रही थी। लेकिन, वहां की पुलिस उसे बार-बार मना कर रही थी।
महिला सिपाही ने पूछने पर कहा है कि थाना लेखक दो अप्रैल को एक लड़की के साथ होटल में गया। होटल पर उसने कहा कि मैं नालंदा जिला से आया हूं। मेरे साथ जो लड़की है वह सिपाही है और मैं थानेदार हूं। मुझे एक रूम चाहिये। इस पर थाना लेखक ने होटल में जो नाम लिखाया वह नाम विश्वविद्यालय थाना की एक महिला सिपाही का है।
यह सारी बातें उक्त महिला सिपाही ने इस संवाददाता को बताया था। थाना के भी कई पुलिसकर्मी बताते हैं कि थाना लेखक थाना पर भी देर रात नशे में आते हैं। और, अभद्र व्यवहार करते हैं।
थानाध्यक्ष मदन प्रसाद ने पूछने पर कहा कि मेरे जानकारी में नहीं है। लेकिन, डीएसपी साहब के सामने हुई बातचीत और की गई तहकीकात में कोई भी ऐसा मामला सामने नहीं आया है। हालांकि नाम नहीं छापने की शर्त पर थाना लेखक की करतूत को बयां करने से कोई चूक भी नहीं रहे हैं।
ऐसे गंभीर मामलों में वरीय पुलिस पदाधिकारी को तुरंत एक्शन में आना चाहिये। और, जांच के बाद कार्रवाई करनी चाहिये। हालांकि डीएसपी अमित कुमार ने भी कहते-कहते यह स्वीकार किया कि ऐसे थाना लेखक को लाइन क्लोज किया जाना चाहिये।
अब सवाल उठता है कि यह कार्रवाई करेगा कौन? कोई भी पुलिस के आलाधिकारी ही कर सकते हैं। कई पुलिस कर्मी तो यहां तक कहते हैं कि थाना लेखक का रक्षक कोई पापा जी हैं। अब यह पापा जी कौन है?
यह भी जांच का विषय है जो इन्हें संरक्षण देता है। कई पुलिस कर्मी कहते हैं कि थाना लेखक अक्सर कहते हैं कि उसके माथे पर पापा जी का हाथ है। उसका कोई क्या बिगाड़ेगा।
अब इस पूरे प्रकरण में महिला सिपाही झूठ बोल दी है। और थाना लेखक को फंसा दिया है। या, फिर पुलिस अधिकारी उक्त महिला सिपाही पर दबाव बनाकर मामले को इति श्री करने का प्रयास कर दिया है। यह बात तो तब सामने आयेगा जब सच्चाई से तहकीकात हो।