बड़ी खबर दरभंगा से आ रही है जहां दरभंगा नगर निगम की मेयर बैजंती देवी खेड़िया और डिप्टी मेयर बदरुज्जमा खान समेत स्थायी समिति के सदस्यों को पद से मुक्त कर दिया गया है। साथ ही कई पार्षदों की भी कुर्सी चली गई है। इसको लेकर नगर विकास विभाग, पटना ने आदेश जारी किया है।
जानकारी के मुताबिक ये सभी शौचायल आवंटन घोटाला में दोषी पाए गए थे। 66 लाख रुपये में से 27 लाख रुपए छूट देने के मामले में जांच हुई थी। इसमें मेयर और डिप्टी मेयर सहित हटाए गए तमाम लोग दोषी पाए गए थे। इस संबंध में पार्षद मधुबाला सिन्हा और पूर्व पार्षद प्रदीप गुप्ता समेत कई ने प्रमंडलीय आयुक्त से शिकायत की थी। वहीं आयुक्त की जांच रिपोर्ट के बाद नगर विकास विभाग ने कार्रवाई की है।
जानकारी के अनुसार, शौचालय के 27 लाख रुपए की अनियमितता में मेयर, उप मेयर व तत्कालीन नगर आयुक्त दोषी ठहराए गए थे। दरभंगा नगर निगम में शौचालय की बंदोबस्ती में 27,19008 रुपए की अनियमितता
के मामले में नगर आयुक्त घनश्याम मीणा ने तत्कालीन महापौर समेत सशक्त स्थायी समिति एवं तत्कालीन नगर आयुक्त को दोषी ठहराया था। साथ ही कार्यकारी एजेंसी बिहार वेलफेयर ट्रस्ट को भी जिम्मेदार ठहराते हुए उक्त
राशि जमा करने का आदेश दिया था।
यूं हुई कार्रवाई
दरभंगा नगर निगम में यह मामला शौचालय घोटाले के नाम से चर्चित है। यह मामला वर्ष 2016 का है। हालांकि, वर्ष 2019 में पूर्व पार्षद प्रदीप गुप्ता समेत अन्य ने आयुक्त मयंक बरबरे को एक ज्ञापन सौंपकर भ्रष्टाचार का मामला उठाया था। इसके बाद जांच शुरू हुई थी।
फिर क्या हुआ…मामला सत्य निकला
आयुक्त की ओर से कराई गई जांच प्रतिवेदन में बताया गया कि 25 अगस्त 2016 से 24 अगस्त 2019 तक नौ शौचालयों की बंदोबस्ती के उपरांत बंदोबस्ती राशि 66 लाख 585 रुपये में कुल 27 लाख 19 हजार आठ रुपए की अनियमित छूट देने का आरोप मेयर, डिप्टी मेयर और सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों के खिलाफ सत्य पाया गया है।
इस आलोक में सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों से स्पष्टीकरण मांगा गया। सदस्यों ने 22 सितंबर 2021 को जवाब भेजा। इसे अस्वीकार करते हुए विभाग ने समिति के सदस्य अजय जालान, सोहन यादव, सुबोध कुमार, मो. सिबगतुल्लाह, विनोद मंडल, आशा किशोर प्रजापति व नूसरत आलम को दोषी पाते हुए सभी को पदमुक्त कर दिया है।
शहर के 9 शौचालयों की तीन साल के लिए बंदोबस्ती हुई थी। बिहार वेलफेयर ट्रस्ट नामक कंपनी ने शौचालय बंदोबस्ती की उंची बोली लगाते हुए 22 लाख सालाना की दर पर 3 साल के लिए निविदा प्राप्त कर ली। इस हिसाब से कंपनी को निगम को 66 लाख रुपए भुगतान करना था। लेकिन इस बीच संवेदक ने राशि भुगतान करने के बजाय 3 शौचालय क्षतिग्रस्त बताकर 27 लाख रुपए माफ करने का आवेदन निगम को दिया।
संवेदक के आवेदन में किए गए दावे की जांच के लिए टीम बनाई गई। जांच रिपोर्ट में शौचालय को क्षतिग्रस्त बताया गया। इसके आलोक में सशक्त स्थायी समिति ने आवेदन को आगे की कार्रवाई के लिए नगर विकास एवं आवास मंत्रालय को भेज दिया । लेकिन मंत्रालय ने राशि माफ करने से मना कर दिया।
जिला पदाधिकारी डॉ. त्यागराज एसएम को इस मामले में पत्र भेजकर नगर आयुक्त ने एजेंसी को निर्देशित किया था कि राशि जमा नहीं करने पर नीलामवाद दायर किया जाए। डीएम ने इस पत्र को नगर विकास विभाग के सचिव को आगे की कार्रवाई के लिए अग्रसारित किया था। नगर आयुक्त ने डीएम को भेजे पत्र में इस मामले में तत्कालीन नगर आयुक्त व सशक्त स्थायी समिति को दोषी ठहराया था।
सशक्त स्थायी समिति में मेयर वैजयंती देवी खेड़िया, बदरूज्जमा खां, अजय कुमार जालान, सोहन यादव, सुबोध
कुमार, मो. सिबगतुल्लाह, विनोद मंडल, आशा किशोर प्रजापति व नुसरत आलम के नाम का उल्लेख था। तत्कालीन नगर आयुक्त डॉ. रविंद्र नाथ फिलहाल सामान्य प्रशासन विभाग में कार्यरत हैं।
पूर्व पार्षद ने प्रदीप गुप्ता ने कहा,
यह पूरे बिहार के लिए एक सीख होगी कि कोई भी कर्मचारी या मेयर स्तर तक के लोग भ्रष्टाचार के लिए पद का दुरूपयोग नहीं कर पाएंगे। सत्य की जीत है। हमारी ओर से सत्यमेव जयते। भविष्य में नगर निगम में ऐसा कोई भ्रष्टाचार ना हो इसके लिए बड़ा कदम उठाया गया है। यह आने वाले मेयर समेत अन्य पार्षदों को सदैव कर्तव्यनिष्ठ बने रहने की सीख देगा।
इस मामले में पूछा गया था स्पष्टीकरण
विभाग के उप सचिव की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि इस सिलसिले में प्राप्त शिकायतों के आलोक में विभिन्न स्तरों पर हुई जांच के बाद विभाग की ओर से मेयर डिप्टी मेयर और सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों से स्पष्टीकरण पूछा गया था।
स्पष्टीकरण को संतोषजनक नहीं पाते हुए विभाग ने बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 17(4) के तहत छह दिसंबर से मेयर डिप्टी मेयर व सशक्त स्थाई समिति के सभी सदस्यों को पद मुक्त किया है। सभी को दरभंगा नगर निगम में शौचालयों की बंदोबस्ती की कुल राशि 66 लाख 585 में से कुल 2719008 रुपए की अनियमित छूट दिए जाने का दोषी पाया गया है।
क्या कहा था मेयर ने
यह मामला पहले वाली स्टैंडिंग कमेटी का है। हमारी टीम का इसमें कुछ भी नहीं है। पहले के निर्णय पर ही काम किया गया है। जांच रिपोर्ट आई है लेकिन इससे हमलोगों का कुछ लेना देना नहीं है। रिपोर्ट का अध्ययन करने के
बाद ही कुछ कह सकते हैं। अभी कुछ कहना ठीक नहीं है।
वैजयंती देवी खेड़िया, मेयर
क्या कहा डिप्टी मेयर ने
शौचालय घोटाले में मेरा नाम आना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह मामला पूर्व मेयर गौड़ी पासवान के समय का है। उन्हीं के समय संवेदक ने राशि माफ करने के लिए आवेदन को नगर विकास एवं आवास विभाग भेजा था। बेगुनाही साबित करने के लिए अपील करेंगे।
बदरूज्जमा खान उर्फ बॉबी खान, डिप्टी मेयर
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