
जाले (दरभंगा), देशज टाइम्स। राजस्व महा अभियान में आज जाले और काजी बहेड़ा में शिविर का आयोजन किया गया। दस हजार जमाबंदियों का वितरण पूरा हो सका। जहां, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार के राजस्व महा अभियान के तहत गुरुवार को नगर परिषद जाले एवं काजी बहेड़ा पंचायत में विशेष शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर की अगुवाई आरओ प्रवीण कुमार कर्ण ने की।
शिविर में ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान
शिविर के दौरान आम रैयतों की समस्याओं को सुना गया और उनके समाधान हेतु विभिन्न प्रकार के प्रपत्र वितरित किए गए। इससे लोगों को राजस्व संबंधी कार्यों में आसानी होगी।
प्रभारी सीओ (Circle Officer) वत्सांक ने बताया कि अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि हर ग्रामीण को जमाबंदी (Record of Rights – ROR) और जमीन संबंधी अभिलेख समय पर उपलब्ध हो सकें।
अब तक दस हजार जमाबंदियों का वितरण
शिविर के दौरान प्रभारी सीओ ने जानकारी दी कि अंचल क्षेत्र में अब तक लगभग दस हजार जमाबंदियों का वितरण किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि शेष 68 हजार जमाबंदियों का वितरण भी निर्धारित तिथि 20 सितंबर से पूर्व कर दिया जाएगा। इससे हजारों ग्रामीणों को भूमि स्वामित्व से संबंधित अभिलेख उनके घर के पास ही उपलब्ध हो जाएंगे।
राजस्व महा अभियान क्या है?
राजस्व महा अभियान बिहार सरकार द्वारा चलाया जाने वाला एक विशेष कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य है –
ग्रामीणों को भूमि संबंधी अभिलेख समय पर उपलब्ध कराना। जमाबंदी सुधार, त्रुटि संशोधन और नामांतरण (Mutation) की प्रक्रिया को सरल बनाना। डिजिटल इंडिया पहल के तहत भूमि दस्तावेजों का डिजिटलीकरण करना। अधिक जानकारी के लिए देखें: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार
ग्रामीणों को मिली बड़ी राहत
जाले और काजी बहेड़ा पंचायतों के लोगों ने कहा कि इस अभियान से उन्हें राजस्व से जुड़ी परेशानियों से मुक्ति मिल रही है। पहले जमीन का कागज पाने के लिए महीनों-दिनों तक अंचल कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते थे। अब शिविरों के माध्यम से मौके पर ही कागजात मिल रहे हैं। नामांतरण (Mutation) और जमाबंदी त्रुटि सुधार जैसे कार्य भी तेजी से निपटाए जा रहे हैं।
निर्धारित समय-सीमा में कार्य पूरा करने का आश्वासन
प्रभारी सीओ वत्सांक ने स्पष्ट किया कि सरकार इस बार किसी भी हाल में 20 सितंबर से पूर्व सभी जमाबंदियों का वितरण सुनिश्चित करेगी। इसके लिए राजस्व कर्मियों को विशेष निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस अभियान से न सिर्फ भूमि विवादों में कमी आएगी बल्कि न्यायालयों पर भार भी घटेगा, क्योंकि कई मामलों में सही दस्तावेज के अभाव में विवाद उत्पन्न होते हैं।