Darbhanga | बिहार शिक्षा विभाग ने पटना विश्वविद्यालय, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा), मुंगेर विश्वविद्यालय, और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय की सैलरी और पेंशन पर रोक लगा दी है। यह रोक शिक्षकों और कर्मचारियों की जानकारी पे-रोल मैनेजमेंट पोर्टल (Payroll Management Portal) पर अपलोड न करने की वजह से लगाई गई है।
सैलरी और पेंशन पर असर
इस कार्रवाई के कारण इन विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों को नवंबर और दिसंबर की सैलरी और पेंशन नहीं मिल पाई है। यह फैसला शिक्षा विभाग की सख्त सैलरी प्रबंधन प्रणाली के तहत लिया गया है, जिससे शिक्षकों और कर्मचारियों में भारी नाराजगी देखी जा रही है।
आठ विश्वविद्यालयों को जारी की गई करोड़ों की राशि
इसके विपरीत, जिन आठ विश्वविद्यालयों ने सभी आवश्यक जानकारियां पोर्टल पर अपलोड कर दी हैं, उन्हें कुल 171.96 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी गई है।
राशि प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालय:
- जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा – ₹13.66 करोड़
- ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा – ₹33.74 करोड़
- मगध विश्वविद्यालय, बोधगया – ₹25.28 करोड़
- पूर्णिया विश्वविद्यालय – ₹9.64 करोड़
- मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय – ₹1.66 करोड़
- बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा – ₹17.62 करोड़
- पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना – ₹37.7 करोड़
- बीआर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर – ₹32.66 करोड़
पे-रोल प्रबंधन प्रणाली का निर्देश
शिक्षा विभाग ने 10 नवंबर, 2024 को एक आदेश जारी किया था कि सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को शिक्षकों और कर्मचारियों के डाटा को पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है।
- जिन विश्वविद्यालयों ने इसका पालन किया, उन्हें समय पर फंड जारी किया गया।
- जानकारी अपलोड न करने वाले विश्वविद्यालयों पर सख्त कार्रवाई करते हुए सैलरी और पेंशन रोक दी गई।
शिक्षा विभाग की टिप्पणी
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह कदम पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। विभाग ने कहा कि जिन विश्वविद्यालयों की जानकारी पे-रोल मैनेजमेंट पोर्टल पर अपलोड नहीं हुई है, उनके फंड रोकने का फैसला नियमों के तहत लिया गया है।
प्रभाव और शिक्षकों की नाराजगी
इस फैसले के बाद, सैलरी और पेंशन पर रोक के कारण प्रभावित शिक्षकों और कर्मचारियों में भारी नाराजगी है। वे जल्द से जल्द उनकी बकाया राशि जारी करने की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष: यह मामला बिहार के शिक्षा प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के प्रयासों को दिखाता है, लेकिन इससे प्रभावित शिक्षकों और कर्मचारियों की समस्याओं को भी सामने लाता है।