बिहार में ये कैसी पुलिसिया परंपरा कायम हो गई है, जहां वरीय पुलिस अधिकारियों के आदेश-निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। आईजी के निर्देश को एसपी नहीं मान रहे हैं। वहीं, मुख्यालय के आदेशों को आईजी दरकिनार कर रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पुलिसिया व्यवस्था की अनुशासनिक प्रक्रिया बिल्कुल ही ध्वस्त हो जाएगी।
पढ़िए देशज टाइम्स के अपराध ब्यूरो प्रमुख Sanjay Kumar Roy (सर्वश्रेष्ठ से जुड़ें 9835241923) की यह EXCLUSIV REPORT की चौथी कड़ी
मधुबनी जिला की बात करें,
तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि एसपी को वरीय पुलिस पदाधिकारियों के आदेश की अवहेलना करना उनकी नियति में है। यह हम नहीं कह रहे हैं, आईजी या मुख्यालय की ओर से दिये गये पत्र के आलोक में निर्देश की अवहेलना से प्रतीत होता है?
मिथिला क्षेत्र के आईजी ललन मोहन प्रसाद ने मुख्यालय के निर्देश पर सात नवंबर को ही मधुबनी एसपी को पत्र (ज्ञापांक 3070) लिखकर निर्देश दिया था कि स्थानांतरित पुलिस पदाधिकारियों-कर्मियों को स्थानांतरित जिला के लिये विरमित कराते हुए भौतिक रूप से प्रस्थान कराना सुनिश्चित करें।
साथ ही, कृत कार्रवाई से अधोहस्ताक्षरी को अवगत कराना सुनिश्चित करें। इसके बावजूद मधुबनी एसपी ने आईजी के आदेश को ठेंगा बता दिया। आईजी ने मिथिला क्षेत्रादेश संख्या 109/21,183/21 एवं 204/22के माध्यम से जिला अवधि-क्षेत्राअवधि पूर्ण करने के आधार पर क्षेत्रान्तर्गत जिले में स्थानांतरण किया गया है उन्होंने कहा हैं कि करीब 50 पुलिस पदाधिकारी-कर्मी स्थानांतरित जिला के भौतिक रूप से प्रस्थान नहीं किया है।
अब ऐसे में सवाल यह उठता है
कि आईजी की ओर से बारबार मधुबनी एसपी को पत्र लिखकर अवगत कराना एवं मधुबनी एसपी की ओर से आईजी के निर्देश को नहीं मानना आदेशों की अवहेलना है। ऐसे में मधुबनी एसपी की ओर से आदेशों की अवहेलना को लेकर आईजी की ओर से सरकार को पत्र क्यों नहीं लिखा जाता हैं। आई जी के साथ साथ पुलिस मुख्यालय या यू कहें तो सरकार के आदेश-निर्देश की अवहेलना हो रही हैं।
अगर ऐसा ही टाल मटोल पुलिस विभाग
में चलता रहा और वरीय पुलिस पदाधिकारी कार्रवाई के बदले अनदेखी करते रहें तो इस विभाग को गर्त में जाने से पुलिस महानिदेशक भी रोक नहीं सकते। एक पूर्णिया जिला ही इस राज्य में नहीं है जहां के तात्कालीन एसपी दयाशंकर पर कारवाई होकर रामराज्य स्थापित हो गया।
ऐसे कई और जिले है जिसपर सरकार को नजर गड़ाने की जरूरत है।बिहार में ये कैसी पुलिसिया परंपरा कायम हो गई है जहां आदेश-निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। आई जी के निर्देश को एसपी नहीं मान रहा है वहीं मुख्यालय के आदेशों को आईजी दरकिनार कर रहें है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पुलिसिया व्यवस्था की अनुशासनिक प्रक्रिया बिल्कुल ही ध्वस्त हो जाएगी।
मधुबनी जिला की बात करें तो…
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि एसपी को वरीय पुलिस पदाधिकारियों के आदेश की अवहेलना करना उनकी आदतों में तो नहीं है। ये हम नहीं कह रहें है यह बात आईजी या मुख्यालय के द्वारा दिये गये निर्देश की अवहेलना करने के बात वह पत्र सामने आता है जिससे यह प्रतीत होता है कि उनकी हठधर्मिता क्यों है?
मिथिला क्षेत्र के आईजी ललन मोहन प्रसाद ने मुख्यालय के निर्देश पर सात नवंबर को ही मधुबनी एसपी को पत्र (ज्ञापांक 3070) लिखकर निर्देश दिया था कि स्थानांतरित पुलिस पदाधिकारीयों /कर्मियों को स्थानांतरित जिला के लिये विरमित कराते हुये भौतिक रूप से प्रस्थान कराना सुनिश्चित करें। साथ ही, कृत कार्रवाई से अधोहस्ताक्षरी को अवगत कराना सुनिश्चित करें। इसके बावजूद मधुबनी एसपी ने आईजी के आदेश को ठेंगा बता दिया।
आईजी ने मिथिला क्षेत्रादेश संख्या 109/21,183/21एवं 204/22के माध्यम से जिला अवधि /क्षेत्राअवधि पूर्ण करने के आधार पर क्षेत्रान्तर्गत जिले में स्थानांतरण किया गया है। लेकिन, उन्होंने कहा कि करीब 50पुलिस पदाधिकारी /कर्मी स्थानांतरित जिला के भौतिक रूप से प्रस्थान नहीं किया है।
अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि आईजी की ओर से बार-बार मधुबनी एसपी को पत्र लिखकर अवगत कराना एवं मधुबनी एसपी की ओर से आईजी के निर्देश को नहीं मानना आदेशों की अवहेलना है। ऐसे में मधुबनी एसपी की ओर से आदेशों की अवहेलना को लेकर आईजी द्वारा सरकार को पत्र क्यों नहीं लिखा गया।
अगर ऐसा ही टाल मटोल पुलिस विभाग में चलता
रहा और वरीय पुलिस पदाधिकारी कार्रवाई के बदले अनदेखी करते रहे तो इस विभाग को गर्त में जाने से पुलिस महानिदेशक भी रोक नहीं सकते। एक पूर्णिया जिला ही इस राज्य में नहीं है, जहां के तात्कालीन एसपी दयाशंकर पर कार्रवाई होकर रामराज्य स्थापित हो गया। ऐसे कई और जिले हैं जिसपर सरकार को नजर गड़ाने की जरूरत है।