बड़ा खुलासा: पुलिस की लापरवाही से छूटा आरोपी। समय पर चार्जशीट नहीं, अदालत ने दे दी जमानत! पुलिस पर हमले का केस, आरोपी छूट गया और दारोगा लाइन हाजिर! जानिए कहां नप गए जय श्री राम। दरोगा जी का नाम ‘जय श्रीराम’ है, तो कार्य में भी वैसा ही शौर्य और संकल्प दिखना चाहिए।@प्रभास रंजन, देशज टाइम्स दरभंगा।
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चार्जशीट के ‘गुनहगार’ जय श्री राम
दरभंगा, देशज टाइम्स — लहेरियासराय थाना के दारोगा जय श्रीराम को चार्जशीट में देरी और लापरवाही के आरोप में निलंबित कर लाइन हाजिर कर दिया गया है। यह कार्रवाई SSP जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी द्वारा की गई, जिन्होंने इसे गंभीर कर्तव्यहीनता मानते हुए तात्कालिक प्रभाव से दंडात्मक कदम उठाया।
पुलिस पर हमले का था मामला, आरोपी को जमानत मिलने से नाराज हुआ प्रशासन
थाना कांड संख्या 14/25 और 452/23 जैसे गंभीर अपराध की चार्जशीट समय पर न्यायालय में जमा नहीं की गई। परिणामस्वरूप, अदालत ने आरोपी को जमानत दे दी। मामला पुलिसकर्मियों पर हमले से जुड़ा था, जिसे SSP ने गंभीर प्रशासनिक चूक माना।
वारंटी की गिरफ्तारी में हुआ था पुलिस पर हमला
समस्तीपुर न्यायालय द्वारा जारी वारंटी के गिरफ्तारी आदेश के तहत पुलिस सैदनगर मोहल्ला गई थी। वहाँ दारोगा आरके दुबे और अमित कुमार पर घर वालों ने हमला किया और दांत काटकर घायल कर दिया।
तत्कालीन थानाध्यक्ष दीपक कुमार मौके पर
तत्कालीन थानाध्यक्ष दीपक कुमार मौके पर पहुंचे और आरोपियों को गिरफ्तार किया, लेकिन स्थानीय लोगों ने पथराव कर दिया। स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी।
मारपीट और दहेज उत्पीड़न जैसे गंभीर मामले दबे रह गए
कांड संख्या 452/23 में पैसे के लेन-देन को लेकर मारपीट सहित अन्य गंभीर घटनाएं दर्ज थीं। इन मामलों में भी चार्जशीट समय पर दाखिल नहीं की गई। यह पुलिस विभाग की छवि को प्रभावित करने वाली गंभीर लापरवाही थी।
SSP जगुनाथ रेड्डी का सख्त संदेश: लापरवाही बर्दाश्त नहीं
SSP जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी ने इस कार्रवाई के जरिए स्पष्ट किया कि न्यायिक कार्यों में लापरवाही किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं की जाएगी। कर्तव्यहीन पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
‘जय श्री राम’ नाम है तो काम में भी होना चाहिए वही तेवर
“दारोगा जी का नाम ‘जय श्रीराम’ है, तो कार्य में भी वैसा ही शौर्य और संकल्प दिखना चाहिए।” पुलिसकर्मियों पर हमले जैसा गंभीर मामला अगर खुद विभाग के ही लोग समय पर गंभीरता से नहीं लें, तो आरोपियों का मनोबल बढ़ना लाजमी है। अगर समय पर चार्जशीट दाखिल की जाती, तो संभव है कि न्यायालय से जमानत न मिलती, या फिर न्यायालय तथ्यों को और गंभीरता से देखता।
कर्तव्य पालन में देरी, कानून के प्रति विश्वास को कमज़ोर करती है और जनता में असंतोष बढ़ाती है। एक आम नागरिक के तौर पर यही अपेक्षा है कि नाम के अनुरूप कर्म भी सटीक हो — क्योंकि “जय श्रीराम” सिर्फ उच्चारण नहीं, एक उत्तरदायित्व का प्रतीक है।