न्यायिक विफलता, गांजा तस्करी, और पुलिस लापरवाही से जुड़ी ये खबर मुजफ्फरपुर से है — जो आक्रोश, हैरानी और सिस्टम पर सवाल खड़ा करती है। जहां,राहत की खबर दरभंगा की उन तस्करों तथाकथित महिला तस्करों की मौज और खुशी से भरी है जो सीधा सवाल पूछ रहीं। जब “गांजा तस्कर बरी”, “7 साल बाद फैसला”, “पुलिस की लापरवाही” से आज दरभंगा की 61 किलो गांजा केस में 3 महिला तस्कर बरी हो गई और मुजफ़फरपुर,पुलिस रही गायब!@दरभंगा,मुजफ्फरपुर,देशज टाइम्स।
गांजा तस्करी में पकड़ी गईं थीं 3 महिलाएं, अब सबूत के अभाव में छूट गईं –
गांजा तस्करी में पकड़ी गईं थीं 3 महिलाएं, अब सबूत के अभाव में छूट गईं – पुलिस ने नहीं दी गवाही। 61 किलो गांजा और 7 साल बाद… कोर्ट में नहीं आए पुलिस गवाह, तीनों महिला तस्कर बरी। दरभंगा विशनपुर की ये तीनों महिलाएं गांजा के साथ गिरफ्तार, फिर मिली जमानत… और अब पूरी तरह बरी! पुलिस की चुप्पी बनी वजह। गांजा केस में बरी हुईं दरभंगा की तीन महिलाएं! कोर्ट में नहीं पेश हुए 8 पुलिस गवाह। पुलिस की लापरवाही से तीन महिला तस्कर को कोर्ट ने किया रिहा – नहीं हुई एक भी गवाही। हरिद्वार ले जा रहीं थीं 61 किलो गांजा! अब कोर्ट ने बरी कर दिया – गवाही देने कोई पुलिसवाला नहीं आया@दरभंगा,मुजफ्फरपुर,देशज टाइम्स।
मुकदमे की Timeline at a Glance): दरभंगा की तीनों महिलाएं बरी
1 दिसंबर 2018: तीनों महिलाओं की गिरफ्तारी गांजा के साथ। 31 दिसंबर 2018: चार्जशीट दाखिल। 6 मई 2022: आरोप गठन। 2022-2025: गवाही के लिए कई बार समन जारी। 30 जून 2025: अंतिम अवसर भी निष्फल। 10 जुलाई 2025: तीनों महिलाएं बरी।
गवाह और साक्ष्य के अभाव में बरी हुईं गांजा तस्करी की आरोपी तीन महिलाएं | Muzaffarpur NDPS Court News
मुजफ्फरपुर में सात साल पहले रेलवे स्टेशन पर 61.700 किलोग्राम गांजा के साथ गिरफ्तार की गईं तीन महिला तस्कर अब साक्ष्य और गवाहों के अभाव में न्यायालय से बरी हो गई हैं। एनडीपीएस एक्ट की विशेष अदालत संख्या-2 के न्यायाधीश नरेंद्र पाल सिंह ने इस मामले में यह अहम निर्णय सुनाया है।
रेलवे स्टेशन पर हुई थी गांजा की जब्ती
1 दिसंबर 2018 को, मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या-4 से दरभंगा जिले की तीन महिलाएं — वीणा देवी (गोरियारी, विशनपुर), रेखा देवी (गोगौल, सिंहवाड़ा), और रामसमिन्द्र देवी (कोरा) को 61.700 किलो गांजा के साथ जीआरपी ने गिरफ्तार किया था। आरोप था कि ये महिलाएं हरिद्वार गांजा की तस्करी के लिए ले जा रही थीं।
गवाही नहीं देने पर कोर्ट ने अभियोजन को ठहराया दोषी
केस में जांच अधिकारी सहित कुल आठ पुलिसकर्मी गवाह थे। लेकिन तीन वर्षों तक बार-बार अवसर मिलने के बावजूद कोई भी गवाही के लिए कोर्ट नहीं पहुंचा। विशेष अदालत ने 30 जून को अंतिम अवसर दिया, जिसमें भी अभियोजन पक्ष विफल रहा।
अदालत ने यह माना कि अभियोजन पक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने में पूर्ण रूप से असफल रहा और इसी आधार पर सभी आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।
अदालत ने क्यों दिया बरी करने का आदेश
सिर्फ RFSL (Forensic) रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, लेकिन कोई जमीन पर गवाह या दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं किया गया। दस्तावेजी प्रमाण व गवाहों की अनुपस्थिति के कारण अदालत ने तीनों महिलाओं को NDPS एक्ट के तहत दोषमुक्त करार दिया। जिला दंडाधिकारी को आदेश की प्रति भेजी गई है।
गवाही से गायब रहे ये अधिकारी
जांच अधिकारी कृष्णा प्रसाद सिंह, जीआरपी जमादार: सुनीता जायसवाल (गिरफ्तारी करने वाली अधिकारी), अन्य गवाह: हवलदार सरवर अंसारी, सिपाही शैलेंद्र कुमार, गोरेलाल, महिला सिपाही रेखा कुमारी, पीटीसी विनोद राय, इन सभी को गवाही दर्ज कराने के लिए बार-बार समन भेजा गया, फिर भी कोर्ट में पेश नहीं हुए।
क्या बोले कानूनी विशेषज्ञ?
कानून के जानकारों के अनुसार:
“NDPS एक्ट एक कठोर कानून है, लेकिन बिना पर्याप्त साक्ष्य और गवाहों के कोर्ट दोष सिद्ध नहीं कर सकती। यह मामला प्रक्रियागत विफलता का उदाहरण है।”