लहटा गाँव स्थित उपेंद्र समाज सेवा संस्कृत उच्च विद्यालय के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक और संस्कृत के प्रकांड विद्वान पंडित परमानंद झा (80 वर्ष) का 17 दिसंबर को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और अपने योगदान से क्षेत्र में एक विशेष पहचान बना चुके थे। उनके निधन पर लहटा-तुमौल-सुहथ पंचायत के मुखिया सतीश चंद्र झा के नेतृत्व में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
श्रद्धांजलि सभा रविवार को पंडित परमानंद झा के आवासीय परिसर में आयोजित की गई। इस मौके पर उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण किया गया और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की गई। साथ ही, दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया और प्रार्थना की गई।
शिक्षक जीवन और योगदान
पंडित परमानंद झा ने 1967 में उपेंद्र समाज सेवा संस्कृत उच्च विद्यालय, लहटा में शिक्षक के रूप में अपने कार्यकाल की शुरुआत की। उन्होंने विद्यालय में प्रधानाध्यापक के रूप में भी कार्य किया और 2007 में सेवानिवृत्त हुए। उनका समर्पण और कार्य क्षेत्र में शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने में सहायक रहा। वे संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में एक आदर्श व्यक्ति थे और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
श्रद्धांजलि सभा में शामिल लोग
श्रद्धांजलि सभा में कई प्रमुख व्यक्तित्वों ने भाग लिया। उनमें से कुछ प्रमुख लोग थे:
- मुखिया सतीश चंद्र झा (मुखिया, लहटा-तुमौल-सुहथ पंचायत)
- पंडित राज किशोर झा (पुत्र)
- अवध किशोर झा (पुत्र)
- कौशल किशोर झा (पुत्र)
- सरपंच शिव शंकर झा
- हीरा चंद्र झा
- श्यामा चरण झा
- अश्विनी सारंगी
- गोपाल झा
- सत्यानंद झा
- गौरी शंकर झा
- उप मुखिया पवन दास
- वार्ड सदस्य बच्चन झा
- लालटुना मिश्र
- बाबू साहब झा
इन सभी ने पंडित परमानंद झा के योगदान को याद किया और उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएँ व्यक्त की।
निष्कर्ष
पंडित परमानंद झा का निधन क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी शिक्षा के प्रति निष्ठा और संस्कृत के प्रचार-प्रसार में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। श्रद्धांजलि सभा ने उनकी इस महान शख्सियत को सम्मानित किया और उनके परिवार के प्रति संवेदनाएँ व्यक्त की। यह सभा उनकी स्मृति में आयोजित की गई थी, और क्षेत्रवासियों ने मिलकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।