बिहार निकाय चुनाव में बोगस वोटिंग पर लगाम लगाने की तैयारी है। बिहार में निकाय चुनाव नए सॉफ्टवेयर से होंगे। इससे वोट डालने पहुंचे मतदाताओं के चेहरे और अंगुलियां खुद बोल उठेंगी कि वह फर्जी है या सही है। बोगस वोटरों की इसबार एक नहीं चलने वाली क्योंकि इसकी पूरी तैयारी हो चुकी है। पढ़िए पूरी खबर
जय बाबा केदार..!
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इसके तहत नगरपालिका चुनाव में गड़बड़ी और फर्जी मतदान रोकने की पूरी कवायद अंतिम चरण में हैं। इसके लिए मतदाताओं की पहचान उनके चेहरे से की जाएगी।
इससे पहले पंचायत चुनाव में अंगुली (फिंगर) के माध्यम से मतदाताओं की पहचान की व्यवस्था की गई थी। रोक लगाने के लिए एक खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होने जा रहा है। इससे वोटर लिस्ट में छपी फोटो और डालने आए मतदाता का मिलान किया जाएगा।
अगर सूरत न मिली तो वोट नहीं डाला जा सकेगा। माना जा रहा है इससे बोगस वोटिंग पर अंकुश लग सकेगा। इसके साथ ही अगर यह प्रयोग सफल रहा तो आने वाले आम चुनावों में भी इसकी मदद ली जा सकती है।
राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर इस नए सॉफ्टवेयर को लेकर अभी से जिला ने तैयारी शुरू कर दी है। वोटरों का सत्यापन आधार कार्ड व वोटर आइडी के अलावा उनकी फोटो से भी किया जायेगा। यदि यह प्रयोग सफल रहता है, तो फिर आगामी लोक सभा चुनाव में भी मतदाताओं का सत्यापन इसके जरिए किया जाएगा। राज्य चुनाव आयोग का कहना है कि फोटो से सत्यापन के बाद बोगस वोटिंग की आशंका खत्म हो जाएगी।
इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरपालिका चुनाव को लेकर पहली बार जिलों के अधिकारियों के साथ विस्तार से पिछले अगस्त महीनें में ही समीक्षा कर चुकी है। इसमें ही यह सहमति बनी थी कि नगरपालिका चुनाव में गड़बड़ी और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाताओं की पहचान उनके चेहरे से की जाएगी। इससे पहले पंचायत चुनाव में अंगुली (फिंगर) के माध्यम से मतदाताओं की पहचान की व्यवस्था की गई थी।
जानकारी के अनुसार, नये सॉफ्टवेयर के सहयोग से मतदाता सूची में दर्ज फोटो व वोट डालने वाले मतदाता की तस्वीर का मिलान खुद ब खुद हो जाएगा। इसके लिए चुनाव के दिन सभी बूथों पर कैमरा मैन व इंटरनेट सुविधा सहित टैब आदि की व्यवस्था की जा रही है। राज्य निर्वाचन आयोग के विशेष कार्य पदाधिकारी संजय कुमार ने इसके लिए सभी जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को निर्देश दिया है।