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30 अप्रैल, 2024
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Madhubani श्रृंखला, मांग, और मजबूत निगरानी से हराएगा एनीमिया को, स्टाइल होगा 6X6X6

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देशज टाइम्स | Highlights -

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मुख्य बातें: एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम से एनीमिया के खिलाफ मुहिम में मिलेगी गति, 6 आयु वर्ग के लोगों को एनीमिया से मुक्ति, एनीमिया में प्रति वर्ष 3 प्रतिशत की कमी करने का रखा गया है लक्ष्य

जय बाबा केदार..!

 

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समीर कुमार मिश्रा, मधुबनी देशज टाइम्स। एनीमिया एक गंभीर लोक स्वास्थ्य समस्या है।इससे जहां शिशुओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध होता है वहीं किशोरियों एवं माताओं में कार्य करने की क्षमता में भी कमी आ जाती है। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय पोषण अभियान के अंतर्गत ‘ एनीमिया मुक्त भारत’ कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है।

बिहार सहित देश के सभी राज्यों में इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत 6 विभिन्न आयु वर्ग के समूहों को चिन्हित कर उन्हें एनीमिया से मुक्त करने की पहल की गयी है।

एनीमिया में प्रतिवर्ष 3% की कमी लाने का है लक्ष्य:
सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा कि इस अभियान के तहत 6 विभिन्न आयु वर्ग की महिलाओं को लक्षित किया गया है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश के लोगों को एनीमिया जैसे गंभीर रोगों से बचाव करना है। साथ ही इस कार्यक्रम के तहत एनीमिया में प्रतिवर्ष 3% की कमी लाने का लक्ष्य भी रखा गया है।

इसके लिए सरकार की ओर से 6X6X6 की रणनीति के तहत 6 आयुवर्ग, 6 प्रयास एवं 6 संस्थागत व्यवस्था की गयी है। यह रणनीति आपूर्ति श्रृंखला, मांग पैदा करने और मजबूत निगरानी पर केंद्रित है।

उन्होंने कहा कि खून में आयरन की कमी होने से शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। इसके लिए सभी को आयरन एवं विटामिन ‘सी’ युक्त आहार का सेवन करना चाहिए. जिसमें आंवला, अमरुद एवं संतरे प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में मिलने वाले स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि विटामिन ‘सी’ ही शरीर में आयरन का अवशोषण करता है. इस लिहाज से इसकी मात्रा को शरीर में संतुलित करने की जरूरत है।

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इन 6 आयु वर्ग के लोगों को किया गया है लक्षित:
• 6 से 59 महीने के बालक और बालिकाएं
• 5 से 9 साल के लड़के और लड़कियाँ
• 10 से 19 साल के किशोर औरकिशोरियां
• 20 से 24 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाएँ( जो गर्भवती या धात्री न हो)
• गर्भवती महिलाएं
• स्तनपान कराने वाली महिलाएं

प्रदान की जाती है निःशुल्क दवा:एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत सभी 6 आयु वर्ग के लोगों में एनीमिया रोकथाम की कोशिश की जा रही है। जिसमें 6 से 59 महीने के बालक और बालिकाओं को हफ्ते में दो बार आईएफए की 1 मिलीलीटर सिरप आशा द्वारा माताओं को निःशुल्क दी जाती है।

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5 से 9 साल के लड़के और लड़कियों को हर सप्ताह आईएफए की एक गुलाबी गोली दी जाती है। यह दवा प्राथमिक विद्यालय में प्रत्येक बुधवार को मध्याह्न के बाद शिक्षकों के माध्यम से निःशुल्क दी जाती है। साथ ही 5 से 9 साल तक के वैसे बच्चे जो स्कूल नहीं जाते हैं, उन्हें आशा गृह भ्रमण के दौरान उनके घर पर आईएफए की गुलाबी गोली देती हैं।

10 से 19 साल के किशोर और किशोरियों को हर हफ्ते आईएफए की 1 नीली गोली दी जाती है।जिसे विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रत्येक बुधवार को भोजन के बाद शिक्षकों एवं आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से निःशुल्क प्रदान की जाती है।

20 से 24 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं को आईएफए की एक लाल गोली हर हफ्ते आरोग्य स्थल पर आशा के माध्यम से निःशुल्क दी जाती है।वहीं गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के चौथे महीने से प्रतिदिन खाने के लिए आईएफए की 180 गोलियां दी जाती हैं। यह दवा उन्हें ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस के दिन प्रदान की जाती है।

साथ ही धात्री माताओं के लिए भी प्रसव के बाद आईएफए की 180 गोली दी जाती है, जिसे उन्हें प्रतिदिन खाने की सलाह दी जाती है। इस दवा का भी वितरण ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस के दिन निःशुल्क ही होता है।

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सप्ताह में दो खुराक दिलाएगा आपके बच्चे को खून की कमी से निजात :
एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत 6 माह से 59 माह तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार आईएफए(आयरन फोलिक एसिड) सिरप देने का प्रावधान किया गया है।

एक खुराक में 1 मिलीलीटर यानी 8-10 बूंदें होती हैं।सभी आशा को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सिरप की 50 मिलीलीटर की बोतलें आवश्यक मात्रा में दी जाती हैं।

प्रथम दो सप्ताह में आशा स्वयं बच्चों को दवा पिलाकर मां को सिखाने का प्रयास करती हैं एवं अनुपालन कार्ड भरना सिखाती हैं। दो सप्ताह के बाद का खुराक मां द्वारा स्वयं पिलाने तथा अनुपालन कार्ड में निशान लगाने के विषय में इस कार्यक्रम के दिशा-निर्देश में विशेष बल दिया गया है।

कहते हैं राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़े:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019-20) के अनुसार जिले में 6 मार्च से 59 वर्ष के 64.2% शहरी क्षेत्र के एवं 68.3% कुल 67.1% बच्चे एनीमिया से ग्रसित हैं नॉनप्रेगनेंट 15 से 49 वर्ष की शहरी क्षेत्र के 54.1% एवं ग्रामीण क्षेत्र के 58.7% कुल 57. 2%महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं वही है 15 से 49 वर्ष के गर्भवती महिला शहरी क्षेत्र 45.7%, ग्रामीण क्षेत्र के 54.3%, कुल 52.2% एनीमिया से ग्रसित हैं।

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