मुजफ्फरपुर,देशज टाइम्स@ दीपक कुमार। मौसम के बदलते ही मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (AES) ने फिर से धमकी देनी शुरू कर दी है। हाल ही में दो और बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) की पुष्टि हुई है, जिससे अब तक जिले में कुल 10 बच्चे इसकी चपेट में आ चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तरह अलर्ट मोड में रहते हुए आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी हैं।
किन बच्चों में हुई AES की पुष्टि
एक मामला पारू प्रखंड और दूसरा मीनापुर प्रखंड से सामने आया है।
मीनापुर के राधा साहनी के दो वर्षीय बेटे सत्यम कुमार को बुखार और झटके आने पर स्थानीय सीएचसी में भर्ती कराया गया था, जहां से उसे एसकेएमसीएच रेफर किया गया। वहां इलाज के दौरान उसकी जांच में AES की पुष्टि हुई।
बच्चों को उबालकर ठंडा किया हुआ स्वच्छ पानी पिलाएं।
बच्चों को संतुलित आहार और स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराएं।
डायरिया या पेट के संक्रमण से बचाव के लिए सावधानी बरतें।
लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें।
घर और आसपास की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
अत्यधिक तेज बुखार आना
उल्टी होना
सिर में तेज दर्द का अनुभव
प्रकाश के प्रति चिड़चिड़ापन (Photophobia)
भ्रम की स्थिति (Confusion)
गर्दन और पीठ में दर्द होना
व्यवहार में अचानक परिवर्तन आना
बोलने और सुनने में कठिनाई होना
बुरे सपने आना और रात को घबराहट
अत्यधिक सुस्ती या निष्क्रियतामच्छरों से बचाव के उपाय अपनाएं।पारू निवासी संतोष पटेल के पांच वर्षीय पुत्र हर्ष राज को भी तेज बुखार के बाद पीकू वार्ड में भर्ती कर इलाज शुरू किया गया और बाद में उसके सैंपल में भी AES की पुष्टि हो गई।
जून 2019 में कहर बनकर टूटा था चमकी
जून 2019 में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले तथा आसपास के इलाकों में चमकी बुखार (Acute Encephalitis Syndrome – AES) का भीषण प्रकोप देखने को मिला था। तब सौ से अधिक बच्चों की मौत ने पूरे देश को हिला दिया था। अब मौसम के बदलाव के साथ यह बुखार एक बार फिर से धमकी देने लगा है।
चमकी बुखार क्या है?
चमकी बुखार एक प्रकार का तीव्र दिमागी बुखार (Acute Encephalitis) है, जो खासकर छोटे और कमजोर बच्चों को प्रभावित करता है। इसमें बच्चे अचानक बुखार, झटके (Seizures) और बेहोशी जैसी स्थितियों का शिकार हो जाते हैं। सही समय पर इलाज न होने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है।
चमकी बुखार के मुख्य कारण
दिमागी बुखार (Brain Fever)
कुपोषण (Malnutrition)
एक्यूट इंसेफलाइटिस वायरस (Acute Encephalitis Virus)
बैक्टीरिया या परजीवी संक्रमण (Bacterial or Parasitic Infection)
जीका वायरस (Zika Virus) भी संभावित कारणों में शामिल
विशेषज्ञों के अनुसार, सोडियम की कमी और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली भी बच्चों को चमकी बुखार के प्रति अधिक संवेदनशील बना देती है।
डॉक्टरों की राय: बचाव ही सबसे बड़ा उपाय
एसकेएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गोपाल शंकर सहनी के अनुसार:
दोनों बच्चों की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
सदर अस्पताल में 24 घंटे चालू रहने वाला कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है।
आपात स्थिति में त्वरित मदद के लिए स्वास्थ्यकर्मियों की ड्यूटी तय की गई है।
बच्चों को स्वच्छ पानी, संतुलित आहार और स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराएं।
घर के आसपास सफाई रखें और मच्छरों से बचाव के उपाय करें।
चमकी बुखार: जानलेवा खतरा, सतर्क रहना जरूरी
चमकी बुखार खासकर छोटे बच्चों के लिए बेहद जानलेवा साबित हो सकता है। समय पर इलाज और बचाव ही इसके प्रभाव को कम कर सकता है। जिले में बढ़ते मामलों को देखते हुए अभिभावकों को विशेष रूप से सजग रहने और बच्चों की सेहत पर लगातार निगरानी रखने की अपील की गई है।
निष्कर्ष: बच्चों के लिए बेहद घातक
चमकी बुखार कमजोर और कुपोषित बच्चों के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है। समय पर पहचान और सही इलाज से इससे बचाव संभव है। अभिभावकों को बच्चों की सेहत पर लगातार नजर रखने और लक्षण दिखते ही बिना देर किए अस्पताल ले जाने की सलाह दी जाती है।