मुजफ्फरपुर जिले की कुढ़नी विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीख का ऐलान पहले ही हो चुका है। 5 दिसंबर को यहां वोट पड़ेंगे। आरजेडी के अनिल सहनी के एलटीसी घोटाले में सजा मिलने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद कर दी गई। इसके बाद कुढ़नी में उपचुनाव की नौबत आई है।
जय बाबा केदार..!
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मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए 17 नवंबर तक नामांकन किया जाएगा। 18 नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 21 नवंबर तक प्रत्याशी नामांकन वापस ले सकते हैं। फिर पांच दिसंबर को मतदान होगा। आठ दिसंबर को मतगणना होगी।
महागठबंधन से इस सीट पर आरजेडी के ही किसी उम्मीदवार को टिकट दिए जाने की संभावना है। यानी फिर आरजेडी और तेजस्वी की परीक्षा होगी। इस परीक्षा से पहले औबेसी की काट सामने आ गई है। औबेसी भी चुनाव लड़ेंगे यानी गोपालगंज का भूत यहां भी पहुंचेगा। इसके अलावे सबसे बड़ा सिरदर्द बनकर उभरेंगे मुकेश सहनी। मुकेश सहनी ने भी साफ कर दिया है, मजबूती से वीआईपी पार्टी वहां चुनाव लड़ेगी। 16 तारीख को चुनाव का नॉमिनेशन करेंगे। कुछ ही दिनों में प्रत्याशी को मैदान में उतारेंगे।
यानी बिहार की कुढ़नी विधानसभा सीट इसबार ज्यादा हॉट होने वाली है। मोकामा में राजद की जीत गोपालगंज में हार के बीच असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की आरजेडी का खेल बिगाड़ेंगे, ऐसा अभी से कयास लगाया जा रहा है। AIMIM ने कुढ़नी में उपचुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। हाल ही में गोपालगंज में हुए चुनाव में भी ओवैसी की पार्टी ने उम्मीदवार उतारा था और 12 हजार से ज्यादा वोट हासिल कर आरजेडी को नुकसान पहुंचाया।
एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल इमान ने कहा है कि उनकी पार्टी ने कुढ़नी उपचुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। विधानसभा क्षेत्र में इसके लिए सर्वे किया जा रहा है। मजबूत उम्मीदवार की तलाश जारी है। जल्द ही प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी जाएगी।
इधर,मुकेश सहनी ने कहा कि अभी प्रत्याशी का चयन नहीं किया गया है। मैं अपने दम पर चुनाव लड़ूंगा। मोकामा और गोपालगंज में जैसे मैंने महा गठबंधन को समर्थन किया है मैं चाहूंगा कि वह भी हमें समर्थन करें। अगर नहीं समर्थन करते हैं तो मैं अकेले चुनाव लड़ूंगा। मेरी लड़ाई बीजेपी से हैं। बीजेपी को मुझे हराना है। महागठबंधन का दोनों सीटों पर अच्छा प्रदर्शन रहा। मोकामा जीत लिया, लेकिन कुछ वोटों से गोपालगंज हार गए।
हालांकि, अभी तक महागठबंधन यानी जदयू और राजद की ओर से इस विस सीट के लिए कहीं कोई दावेदारी या कोई बात नहीं कही गई है। राजद की सीट होने के कारण सबसे पहला दावा राजद का ही होगा। लेकिन, आगामी समीकरण को देखते हुए अगर वीआईपी की इंट्री महागठबंधन में तय मानी जाएगी तो उसका रास्ता यहीं से खुलेगा। या तो मुकेश सहनी मान जाएंगें या फिर राह आसान महागठबंधन का नहीं होगा। वैसे, बिहार में मूल चुनाव में अभी सालों देर है। ऐसे में अगर राजद इनकी बात ना माने ऐसा भी संभव है। वह अपने बूते ही चुनाव लड़े जैसा मोकामा और गोपालगंज में हुआ।
लेकिन, मुकेश सहनी का दावा सुनें तो वह साफ कहते हैं, उनकी ही बदौलत यह सब हुआ जब 2020 में 40 हजार वोटों से बीजेपी ने बसपा को हराया था। यह लिमिट इस बार दो हजार पर पहुंच गई। कहा कि चुनाव महागठबंधन के पक्ष में चुनाव गया। वो हमें समर्थन करते हैं तो अच्छा रहेगा। हमलोग कई सालों से मान समान के लिए लड़ाई लड़ रहे। प्रधानमंत्री से हम निषाद कास्ट के लिए आरक्षण की मांग कर रहे। वो दे दें तो उनसे दोस्ती हो जाएगी। फिलहाल तो चुनाव लड़ने पर हमारा सबसे बड़ा फोकस होगा।