अप्रैल,28,2024
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कह रहा पूरा बिहार प्रधानमंत्री मेरे छोटे भाई की शहादत का बदला लीजिए

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पटना, देशज न्यूज। कर चले हम फिदा जानों तन साथियों अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों…..कुछ ऐसा ही माहौल हो गया उस वक्त बिहटा के तारानगर में जब शहीद हुए जवान सुनील कुमार का पार्थिव शरीर अपने पैतृक गांव पहुंचा। शहीद के नमन में देशभक्ति नारों से जहां गुंजता रहा गांव वहीं सबकी आंखें नम हो गईं। लद्दाख में चीनी सैनिकों से देश की सुरक्षा करने के दौरान शहीद हो गए थे।

कह रहा पूरा बिहार प्रधानमंत्री मेरे छोटे भाई की शहादत का बदला लीजिएसुनील की शहादत पर बड़े बेटे ने कहा मुझे पिता की शहादत पर गर्व है। शहीद सुनील के बेटे आयुष और बड़े भाई की आंखों में गुस्सा था। बेटे को जहां मलाल हो रहा था कि पिता का साया उठ गया वहीं उसे इस बात के लिए गर्व भी हो रहा था पिता ने देश की रक्षा करने में अपनी शहादत दी है। आयुष ने कहा कि मुझे पिता की शहादत पर गर्व है। बड़े भाई अनिल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरे छोटे भाई की शहादत का बदला लें।

शव का स्वागत बिहटा के युवाओं ने 400 मीटर के तिरंगे के साथ किया।  इसके बाद आर्मी के जवान शव को लेकर मनेर के हल्दी छपरा जाएंगे जहां पर गार्ड ऑफ ऑनर के साथ-साथ तमाम आगे की प्रक्रिया की जाएगी। शहीद के 85 वर्षीय पिता वासुदेव साह लकवाग्रस्त हैं उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व तो हैलेकिन सुनील की पत्नी और उनकी बेटी की जिंदगी आगे कैसे कटेगी यह सोच कर वह दुखी भी हैं। बूढ़ी मां रुकमणी देवी का दिल इस बात को मानने को तैयार ही नहीं होता कि उनका लाल शहीद हो गया और रोते-रोते वो बेहोश हो जा रही हैं।

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शहीद हवलदार सुनील कुमार के शोक में पूरा बिहार गम में डूबा रहा। बिहार रेजिमेंटल सेंटर, दानापुर की टुकड़ी ने उनके पार्थिव शरीर को राइफल उलट कर और सैन्य धुन बजाकर सलामी दी। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी समेत सत्ता व विपक्ष के कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। सोमवार की रात लद्दाख के गलवान घाटी में भारत व चीन के सैनिकों के बीच हुए संघर्ष में सुनील शहीद हुए थे। शहीद का पार्थिव शरीर शाम छह बजे वायुसेना के विशेष विमान से पटना पहुंचा था। विमान से पार्थिव शरीर को अपने कंधे पर लेकर िबहार रेजिमेंटल सेंटर के जवान स्टेट हैंगर परिसर में आये और वहां बने एक छोटा स्टेज पर उन्हें रखा गया। सामने एक कारपेट पर चौकोर कागज चिपका कर सोशल डिस्टैंसिंग के साथ अलग अलग कतारों में लोगों के खड़े रहने की व्यवस्था की गयी थी।

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