बिहार में लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति यानी एसटी की सुविधाएं नहीं मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने लोहार जाति को दी गई अनुसूचित जनजाति की सुविधाओं को खत्म कर दिया गया है।
यह सुविधा लोहार जाति को साल 2016 में अत्यंत पिछड़े वर्गों की सूची से हटाकर अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा दिया गया था। लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र जारी करने के साथ अन्य सुविधाएं भी देने के आदेश दिए गए थे।
अब पहले की तरह ही लोहार जाति को राज्य के अधीन अत्यंत पिछड़े वर्गों को देय आरक्षण सहित दूसरी सभी सुविधाएं मिलेंगी। कारण, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में सामान्य प्रशासन विभाग ने लोहार जाति को दी गई अनुसूचित जनजाति की सुविधाओं को निरस्त कर दिया गया है। इस संबंध में सभी विभागों के साथ प्रमंडलीय आयुक्त, जिलाधिकारी, विभिन्न आयोग व अन्य कार्यालय प्रधान को पत्र लिखा गया है। वहीं, सभी विभागों के साथ प्रमंडलीय आयुक्त, जिलाधिकारी, सभी आयोग और अन्य कार्यालयों को लेटर लिखा है।
बिहार में लोहार जाति को वर्ष 2016 में अत्यंत पिछड़े वर्गों की सूची से हटाकर अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया था। उन्हें अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र निर्गत करने के साथ अन्य सुविधाएं भी देने के आदेश दिये गए थे। सुनील कुमार राय एवं अन्य बनाम राज्य सरकार एवं अन्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने 21 फरवरी 2022 को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के वर्ष 2016 के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति की तरह सुविधाएं दी गई थी। इसी आदेश के आलोक में यह निर्णय लिया गया है।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया था। 21 फरवरी 2022 को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के साल 2016 के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति की तरह सुविधाएं दी गई थी। इसी आदेश के आलोक में यह निर्णय लिया गया है। अब पहले की तरह ही लोहार जाति को राज्य में अत्यंत पिछड़े वर्गों को मिलने वाली आरक्षण समेत दूसरी सभी सुविधाएं मिलेंगी।
अब नए सिरे से बनवाना होगा जाति प्रमाण-पत्र
वहीं, बिहार सरकार के आदेश के बाद अब लोहार जाति के लोगों को पहले से जारी अनुसूचित जनजाति के प्रमाण-पत्र मान्य नहीं होंगे। ऐसे में उन्हें अब एनेक्चर-1 का जाति प्रमाण-पत्र बनाना होगा। हालांकि, बुधवार को सरकार की ओर से जारी आदेश में इस बात को स्पष्ट नहीं किया गया है कि बीते पांच-छह सालों में अनुसूचित जनजाति श्रेणी में आरक्षण के माध्यम से बहाल हुए इस जाति के सरकारी सेवकों का क्या होगा।