Bihar Police HQ का बड़ा फैसला, अब थानेदार पर ‘ दाग ‘ अच्छे नहीं है, जानिए … @Bihar Police Headquarters ने थानाध्यक्षों की नियुक्ति (SHO Appointment Rules) को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। नए नियमों के तहत दोषी पुलिस अधिकारियों को थाना अध्यक्ष (Station Head Officer) नहीं बनाया जाएगा। यह आदेश राज्य के पुलिस थानों में स्वच्छ प्रशासन सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
Bihar Police HQ ने थानाध्यक्ष बनने के लिए तय की गईं विशेष अर्हताएं
पुलिस मुख्यालय (Police Headquarters) की ओर से न्यूनतम विशेष योग्यताएं (Minimum Special Qualifications) निर्धारित की गई हैं, जो हर थानाध्यक्ष उम्मीदवार के लिए अनिवार्य होंगी।
मुख्य बिंदु:
किसी भी पुलिसकर्मी को थानाध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा यदि उसे किसी न्यायालय द्वारा दोषी ठहराया गया हो।
यदि किसी केस की जांच के दौरान अभियुक्त (Accused) घोषित किया गया हो तो भी वह थानाध्यक्ष पद के लिए अयोग्य होगा।
नैतिक अधमता (Moral Turpitude) के आरोप में विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर भी थानाध्यक्ष पद नहीं मिलेगा।
इन मामलों में पुलिसकर्मी नहीं बन सकेंगे थानाध्यक्ष
नए नियमों के अनुसार, जिन पुलिसकर्मियों पर निम्न आरोप साबित हुए हैं, वे थानाध्यक्ष (Police Station Head) नहीं बन पाएंगे:
महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार (Misbehavior with Women)
भ्रष्टाचार (Corruption Cases)
अभिरक्षा में हिंसा (Custodial Violence)
अन्य किसी भी प्रकार के गंभीर अपराधों में संलिप्तता
विभागीय सजा पाए पुलिसकर्मियों पर भी रोक
विभागीय जांच या कार्यवाही (Departmental Inquiry) के बाद जिन पुलिसकर्मियों को तीन या उससे अधिक बार सजा (Punishment) मिली है, उन्हें भी थानाध्यक्ष अथवा अंचल पुलिस निरीक्षक (Circle Inspector) के पद पर तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा, जब तक उनके विरुद्ध वृहद सजा का प्रभाव समाप्त नहीं हो जाता।
निष्कर्ष
बिहार पुलिस मुख्यालय (Bihar Police HQ) का यह कदम राज्य में पुलिस प्रशासन में पारदर्शिता (Transparency in Police Administration) और जनविश्वास बहाली (Public Trust) के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब थानाध्यक्ष बनने के लिए नैतिकता और कानूनी शुद्धता दोनों ही अनिवार्य हो गई हैं।