सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चंदा जुटाने में सबसे आगे है। उसके पास घोषित तौर पर 4,800 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। इसके अलावा उसे सालभर में 400 करोड़ से ज्यादा का चंदा मिल जाता है। वित्त वर्ष 2020-21 में भाजपा को 477.5 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जबकि विपक्षी दल कांग्रेस को 74.50 करोड़ रुपए चंदे के रूप में मिले। यह आंकड़ा गत जून महीनें का है।
वहीं, जुलाई में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार,वित्त वर्ष 2020-21 के बीच देश की क्षेत्रीय पार्टियों में सबसे ज्यादा चंदा बिहार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को मिली है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अनुसार देश में क्षेत्रीय दलों को मिले कुल चंदे में से 113.791 करोड़ रुपये सिर्फ पांच पार्टियों को मिला है। इसमें जदयू, द्रमुक, आप, आईयूएमएल और टीआरएस शामिल हैं। इन पार्टियों में सबसे ज्यादा चंदा जदयू को मिला है। यह रिपोर्ट संस्था ने 29 जुलाई 2022 को जारी की है।
भाजपा सबसे अमीर पार्टी है, यह खुलासा भारतीय निर्वाचन आयोग की ओर से जून महीनें किया गया। निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों की चंदे से संबंधित रिपोर्ट सार्वजनिक की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा को कई इकाइयों, चुनावी ट्रस्ट और व्यक्तियों से 4,77,54,50,077 रुपये का चंदा मिला। इस बारे में वित्त वर्ष 2020-21 में मिले चंदे की रिपोर्ट भाजपा ने गत 14 मार्च को आयोग को सौंपी थी।
मगर, राष्ट्रीय पार्टी बनने की होड़ में शामिल जदयू ने, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्रीय दलों को मिले कुल चंदे का 91.38 फीसदी यानी 113.791 करोड़ रुपये पांच पार्टियों के खजाने में गया है।
चंदा जुटाने के अलावा भाजपा संपत्ति के मामले में भी देश के अन्य सभी दलों पर भारी है। बताया गया है कि, भाजपा के पास 4,847 करोड़ रुपए की संपत्ति 2019-20 में थी। वहीं, अब 2022 चल रहा है, और हजार-हजार करोड़ रुपए भी बढ़ा माना जाए तो यह 6 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की हो जाती है। 2022 से पहले भी भाजपा जिन राज्यों में सत्ता में थी, इस साल के चुनाव में फिर से सत्ता में लौट आई।
निर्वाचन आयोग ने 2020-21 में मिले चंदे की रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए कांग्रेस व अन्य दलों की जानकारी भी दी। बताया गया है कि, कांग्रेस को एक साल में 74 करोड़ रुपए चंदा मिला। वहीं, 2019-20 में उसके पास 588 करोड़ रुपए संपत्ति थी। यह बात कांग्रेस की ओर से दिए गए एफिडेविट में ही बताई गई कि उसे विभिन्न इकाइयों और व्यक्तियों से 74,50,49,731 रुपये का चंदा मिला।
कांग्रेस के बाद सपा-बसपा एवं दक्षिण भारतीय दलों का नंबर आता है। वहीं, संपत्ति के बारे में बात की जाए तो 2019-20 में भी भाजपा पहले, बसपा दूसरे और कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी। निर्वाचन कानून के प्रावधानों के मुताबिक, राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपये से अधिक के चंदे से जुड़ी जानकारी देनी होती है।
तीन पार्टियों ने चंदे में वृद्धि की घोषणा की
वित्त वर्ष 2019-20 और 2020-21 की तुलना करें तो वित्त वर्ष 2020-21 में जदयू , द्रमुक और टीआरएस ने अपने चंदे में वृद्धि की घोषणा की है। आप और आईयूएमएल की चंदे में वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में कमी आई है। जदयू ने 2019-20 और वित्त वर्ष 2020-21 के बीच चंदे से अपनी आय में अधिकतम प्रतिशत वृद्धि देखी है। जदयू को इस वर्ष 60.155 करोड़ रुपये चंदे के रूप में मिला है।
जदयू को 330 दान मिले
देश में सबसे अधिक जदयू को 330 दानों से 60.155 करोड़ रुपये का दान मिला। इसके बाद डीएमके को 177 दानों से 33.993 करोड़ रुपये, आम आदमी पार्टी को 11.328 रुपये का दान प्राप्त हुआ।आईयूएमएल और टीआरएस ने 4.165 करोड़ और 4.15 करोड़ रुपये का दान दिखाया है।
केवल छह पार्टियों ने ही निर्धारित समय अवधि में दिया रिपोर्ट
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट में शामिल 54 क्षेत्रीय दलों में से केवल छह ने निर्धारित समय अवधि के भीतर निर्वाचन आयोग को अपनी दान रिपोर्ट जमा की है। पच्चीस अन्य दलों ने अपनी प्रस्तुति देने में तीन से 164 दिनो की देरी लगायी है। 27 क्षेत्रीय दलों ने घोषित चंदे की कुल राशि 3,051 चंदे से 124.53 करोड़ रुपये थी।इसमें 20,000 रुपये से ज्यादा और कम दोनों रकम शामिल हैं। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए झामुमो, एनडीपीपी, डीएमडीके और आरएलटीपी द्वारा चंदा मिलने की कोई जानकारी नहीं दी गई है।